ये है बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर जिन्होंने देश का पहला संविधान लिखा था, जिनके नाम पर प्रदेश की मुख्यमंत्री माया देवी ने लखनऊ में बनाए पार्क पर करोडो रुपये खर्च कर दिए, वाही भीमराव आंबेडकर नाले किनारे कीचड़ में सने पड़े हुए थे। ये खबर जैसे ही लोगों को मिली इलाके में सनसनी फ़ैल गयी, लोग मौके पर इकठ्ठा होने लगेए लोगों में आक्रोश बढ़ने लगा।
खबर जंगल में लगे आग की तरह बीएसपी नेताओं के पास पहुँच गया, फिर क्या था थोड़ी ही देर में उस इलाके के बीएसपी के इलाकाई नेता भी मौके पर पंहुच गए, मगर जब तक लोग कुछ सोचते पुलिस भी मौके पर पहुँच गयी। पुलिस ने आनन् फानन में मूर्ति को लोडर में डलवाकर उसे कल्यानपुर थाने निकल गए।
वहाँ मौजूद लोगों की माने तो ये मूर्ति इस इलाके की नहीं हैए ये मूर्ति नाले में कैसे पहुंची, ये भी किसी को नहीं पता, मगर मूर्ति को देख ये अनुमान लगाया जा सकता है कि किसी ने इसे जानबूझ कर नाले में फैंका हो, मूर्ति खंडित थी, मूर्ति को देख एसा प्रतीत हो रहा था कि ये मूर्ति कही लगाईं गयी थी, और उसको वहाँ से उखाड़ कर नाले में फैंका गया होए क्योकि बाबा साहेब के दोनों पैर बराबर में खंडित थे।
मौके पर पंहुची पुलिस ने इनको लेकर खुछ भी कहने से इनकार कर दिया, और वहाँ से चुपचाप मूर्ति को ले खसक लिए। अब सवाल ये है कि आखिर बाबा भीमराव आंबेडकर की मूर्ति नाले किनारे आई कैसे, इतनी व्यस्त चौराहे के बगल में बहाने वाले नाले में इन्हें डालने वाले शख्स को किसी ने देखा क्यों नहींए मूर्ति की हालत देख ये कहा जा सकता है कि बाबा साहेब की ये मूर्ति यहाँ पिछले कुछ दिनों से पड़ी हुई थी।