अमेरिका के टेक्सस में मंगलवार को जीका का पहला ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें मरीज किसी और के संपर्क में आने की वजह से वायरस की चपेट में आया है। स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि जीका से पीड़ित शख्स किसी मच्छर के काटने की वजह से नहीं बल्कि यौन संबंध बनाने की वजह से इस वायरस की चपटे में आया।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की तरफ से जीका वायरस को ग्लोबल इमरजेंसी घोषित किए जाने के एक दिन बाद ये मामला सामने आया है। स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, जीका वायरस से पीड़ित मरीज वेनेजुएला से लौटे व्यक्ति के संपर्क में आया था जबकि वो खुद दक्षिण अमेरिका नहीं गया था।
ब्राजील में हजारों बच्चे जन्मजात बीमारी से जुड़े इस वायरस की चपेट में हैं और ये लैटिन अमेरिका में तेजी से फैल रहा है। मंगलवार को WHO के अधिकारियों ने इसपर गंभीर चिंता जताते हुए कहा था कि ये अफ्रीका और एशिया तक भी फैल सकता है। जीका एडीज प्रजाति के मच्छर के काटने से होता है। अब यौन संबंध से इसके फैलने के मामले के सामने आने के बाद इसने चिंता और बढ़ा दी है और इसके तेजी से बढ़ने की पूरी संभावना है।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने एक बयान में कहा, ‘इस मामले की जानकारियों को आंका जा रहा है लेकिन इसमें यौन संबंध के जरिए एक संक्रमित व्यक्ति से गैर-संक्रमित तक फैलने की संभावना है। अधिकारियों ने एक मामले में सीमन में जीका का वायरस पाया था।
गर्भ में पल रहे बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा
अभी तक 30 देश इस वायरस की चपेट में हैं और इसका असर सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाओं और अजन्मे बच्चों पर पड़ता है। इस वायरस की वजह से भ्रूण में मस्तिष्क का विकास रुक जाता है माइक्रोसेफाले (microcephaly) नाम का दिमागी बीमारी फैल जाती है। इस वायरस के कारण गर्भ में पल रहे बच्चों को सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है। जिसका उदाहरण हाल में ब्राजील में उस वक्त देखने में आया जब जीका वायरस से पीड़ित महिलाओं से जन्में बच्चे वहां जन्में अन्य शिशुओं के मुकाबले छोटे सिर वाले पैदा हुए। अक्टूसबर से लेकर अब तक ब्राजील में 3500 से ज्यानदा छोटे सिर और अविकसित दिमाग वाले बच्चे पैदा हुए हैं। अल सल्वाडोर की सरकार ने तो महिलाओं को अगले दो साल तक प्रेगनेंसी से बचने की सलाह दी है।
तलाशी जा रही है वैक्सीन
फ्रेंच ड्रग सनोफी एसए ने मंगलवार को ऐलान किया है कि उसने जीका के वायरस को मिटाने के लिए वैक्सीन बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए एक प्रोजेक्ट लॉन्च किया गया है। कई और कंपनियां वैक्सीन तैयार करने की कोशिश में जुटी हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया और ऑस्ट्रेलियन बायोटिक सिमेनटिस लिमिटिड साथ मिलकर इस वैक्सीन पर काम कर रही हैं। अमेरिकी कंपनी न्यू लिंक जेनेटिक्स कोर्पोरेशन भी इस वायरस से लड़ने के उपचार पर विचार कर रही हैं।