नयी दिल्ली : यहाँ सवाल यह उठ रहा है कि उन 40 भारतीयों का क्या हुआ जिन्हें इस साल जून महीने में इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने अगवा कर लिया था? जून में आइएसआइएस के द्वारा इराक के मोसुल से लापता 40 में से 39 को आतंकियों ने मार डाला है इस बात का खुलासा हिंदी चैनल एबीपी न्यूज ने किया है हालांकि विदेश मंत्रालय ने इस खबर को नकार दिया है। संसद के उच्च सदन राज्यसभा में सरकार की आज इस मुद्दे पर विपक्ष ने जोरदार घेराबंदी की।
क्या है अगवाह लोगों की दास्ताँ
टीवी चैनल ने जानकारी दी है कि उन्हें दो बांग्लादेशी मजदूरों ने बताया कि आतंकियों ने जून के महीने में जिन 40 लोगों को अगवा किया था उसमें से 39 को गोली मार दी गई। इसमें एक मात्र शख्स भागने में कामयाब रहा।
दरअसल, न्यूज चैनल के रिपोर्टर की मुलाकात कुर्दिस्तान की राजधानी इरबिल में शफी और हसन से हुई, जो उस बांग्लादेशी ग्रुप का हिस्सा थे जिन्हें आईएस के आतंकियों ने मोसुल से अगवा कर लिया था. यहीं से 40 भारतीय भी अगवा किए गए थे।
किडनैप करने के बाद पहले आतंकियों ने हर किसी से उनके धर्म के बारे में पूछा। बाद में भरोसा दिलाया कि उन्हें इरबिल ले जाया जाएगा। एक पल के लिए भारतीयों को ऐसा लगने लगा कि वे आतंकियों के चंगुल से बच जाएंगे। पर ऐसा नहीं हुआ. बाद में आतंकियों ने बांग्लादेशी और भारतीय नागरिकों को अलग-अलग कर दिया गया।
कुछ दिनों बाद आतंकियों की चंगुल से बच निकलने वाले हरजीत की मुलाकात बांग्लादेशी मजदूरों से हुई। उसने बताया कि अगवा भारतीयों को आतंकी एक पहाड़ी इलाके में ले गए। 15 जून की बात है कि उसके साथियों को आतंकियों ने गोली मार दी। आतंकियों ने तो उस पर भी गोली चलाई थी, पर वह उसे छू कर निकल गई। उसने आतंकियों के सामने मरने का नाटक किया जिस कारण से वह बच पाया।
वहां से भागकर हरजीत अल जामिया नाम के जगह पर पहुंचा, जहां पर उसने आईएसआईएस समर्थकों को बताया कि वह बांग्लादेशी है। इसके बाद वह बांग्लादेशियों के साथ रहने लगा और अपनी कहानी सुनाई। आतंकियों को गुमराह करने के लिए वह हर दिन नमाज भी पढ़ता था। इसके बाद सभी बांग्लादेशियों को इरबिल ले जाया गया।
इरबिल पहुंचने के बाद हरजीत की मुलाकात इन बांग्लादेशी मजदूरों से नहीं हुई। फिलहाल हरजीत कहां है इसकी जानकारी किसी को नहीं है। पर उसने अपनी मां से फोन पर बात जरूर की है।
इराक में बंधक 39 भारतीयों में ज्यादातर पंजाब के हैं। अगवा नौजवानों की अपने परिजनों से जून के मध्य में अंतिम बार बात हुई थी। तब से परिजन दिल्ली में विदेश मंत्रालय का चक्कर भी कई बार लगा चुके हैं। उनका कहना है कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उन्हें आश्वासन दिया था, लेकिन अब उनकी नींद हराम हो गई है।
इस मुद्दे पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का बयान
इस मुद्दे पर सदन में अपना जवाब देते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि मैं नोटिस के बाद यहां पहुंची हूं। मैं यहां जवाब देने के लिए आयी हूं। सबसे पहले मैं यह बता दूं कि यह खबर पहली बार नहीं छपी. इससे पहले भी कई बार ऐसी खबरें आ चुकीं हैं।
इराक में मारे गये भारतीयों के संबंध में विदेश मंत्री ने कहा कि इस तरह की सभी खबरों का एक ही सूत्र हरजित है। वह बता चुका है कि सब मारे जा चुके हैं जिसकी बात में विरोधाभास है। मैं पांच बार परिवार वालों से मिल चुकी है. मैं आपको बता दूं कि हरजीत मसीह पूरी तरह सुरक्षित है और सरकार की सुरक्षा देखरेख में है।
सुषमा ने कहा गायब लोगों से सीधा संपर्क नहीं है। क्या हम हरजीत की बात मानकर उनकी तलाश छोड़ दें। यदि उनके एक प्रतिशत भी बचने की संभावना है तो सरकार उन्हें वापस लाने का प्रयास जारी रखेगी। यदि हम यह कहें कि सरकार उन्हें बचाने के लिए जमीन आसमान एक किये हुए हैं तो गलत नहीं है।
इससे पहले कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने राज्यसभा में इस मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगते हुए कहा कि सरकार अगवा नागरिकों के परिवार वालों को गुमराह कर रही है। सरकार को यह पहले ही बता देना चाहिए था। सरकार को इस मामले में झूठा आश्वा सन नहीं देना चाहिए था। क्या सरकार अंधकार में थी? नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि वह केवल दिखावा करते हैं। इस मुद्दे पर उन्होंने एक शब्द नहीं कहा।
सुषमा स्वराज ने कहा कि छह सूत्रों से इस बात के संकेत हैं कि वे अभी मारे नहीं गए हैं। उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी नागरिकों के बयान पर इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकती है कि अगवा भारतीय मार दए गए हैं। इससे पहले सुषमा स्वराज ने संसद सदस्यों से अपील की कि वे लापता भारतीयों के बारे में मृतक शब्द इस्तेमाल न करें बल्कि कथित मृतक कहें।