6 जून “ऑपरेशन ब्लू स्टार” देश को मिला था गहरा जख्म, इस तरह चुकानी पड़ी थी देश को इसकी कीमत

इतिहास का 6 जून एक ऐसी तारीख है, जिस दिन कई बड़ी घटनाओं ने देश और दुनिया पर अपनी छाप छोड़ी. इतिहास में 6 जून का दिन सिखों को एक गहरा जख्म देकर गया. इस दिन अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में सेना का ऑपरेशन ब्लूस्टार खत्म हुआ. अकाल तख्त हरमंदिर साहिब की तरफ बढ़ती सेना का जरनैल सिंह भिंडरावाले और खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों ने जमकर विरोध किया और इस दौरान दोनों तरफ से भीषण गोलीबारी हुई.

उस दिन गोलीबारी और भारी खूनखराबे के बीच अकाल तख़्त को भारी नुकसान पहुंचा और सदियों में पहली बार ऐसा हुआ कि हरमंदिर साहिब में गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ नहीं हो पाया. पाठ न हो पाने का यह सिलसिला 6, 7 और 8 जून तक चला.

यह बात सही है कि 6 जून 1984, भारतीय इतिहास में एक भयानक दिन माना जाता है, जब भारतीय सेना ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के तहत स्वर्ण मंदिर परिसर में प्रवेश किया था. यह सिख धर्म के सबसे पवित्र स्थल पर एक सैन्य अभियान था, जिसका उद्देश्य जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों को खत्म करना था, जो उस समय मंदिर परिसर में कब्जा जमाए हुए थे.

ऑपरेशन ब्लू स्टार की पृष्ठभूमि

1970 के दशक से पंजाब में खालिस्तान आंदोलन तीव्र हो रहा था, जो एक अलग सिख राष्ट्र की मांग कर रहा था. भिंडरावाले इस आंदोलन के सबसे कट्टरपंथी नेताओं में से एक थे, जिन्होंने स्वर्ण मंदिर परिसर को अपना गढ़ बना लिया था. उनकी बढ़ती ताकत और हिंसा के कारण, भारतीय सरकार ने उन्हें बेअसर करने का फैसला किया.

ऑपरेशन ब्लू स्टार का प्रभाव:

ऑपरेशन ब्लू स्टार में सैकड़ों लोग मारे गए, जिनमें सेना के जवान और नागरिक दोनों शामिल थे. स्वर्ण मंदिर को भी भारी नुकसान हुआ, जिसके कारण सिख समुदाय में भारी रोष और आक्रोश फैल गया. इस घटना का सिख धर्म और भारतीय राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ा, जिसके दूरगामी परिणाम आज भी महसूस किए जा सकते हैं.

ऑपरेशन के बाद देश के प्रधानमंत्री को चुकानी पड़ी इसकी कीमत 

इस ऑपरेशन की कीमत तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. इंदिरा गांधी की हत्या हुई जो ऑपरेशन के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार थीं, उनके सिख अंगरक्षक द्वारा दो दिन बाद कर दी गई थी. पंजाब में हिंसा और आतंकवाद बढ़ता रहा, जिसके कारण 1990 के दशक में कई निर्दोष लोगों की जान चली गई. 2000 के दशक में, पंजाब में शांति बहाल होने लगी, लेकिन ऑपरेशन ब्लू स्टार के घाव अभी भी पूरी तरह से भरे नहीं हैं.

पंजाब के लिए मायने

ऑपरेशन ब्लू स्टार को लेकर सिख समुदाय में भिन्न-भिन्न राय है. कुछ लोग इसे सिख धर्म पर हमला मानते हैं. यह बात भी सही है कि घटना भारतीय लोकतंत्र और सिख समुदाय के बीच संबंधों पर एक काला धब्बा माना जाता है. यह अभियान, पंजाब में बढ़ते खालिस्तान आंदोलन को दबाने का एक हिस्सा था. जरनैल सिंह भिंडरावाले, इस आंदोलन के प्रमुख नेता, उस समय स्वर्ण मंदिर परिसर में शरण लिए हुए थे.