नई दिल्ली : हिमालय अपनी उत्पत्ति के समय से उत्तर से दक्षिण की तरफ खिसक रहा है। यह गति सालाना 40 मिलीमीटर है, मगर हिमालय में एक भूभाग ऐसा भी है, जिसकी गति महज 20 मिलीमीटर प्रति वर्ष है।करीब 80 किलोमीटर लंबाई का यह भूभाग उत्तराखंड में पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी से देहरादून के पास मोहंड क्षेत्र तक फैला है।
वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस क्षेत्र में भूकंपीय फॉल्ट अधिक ढालदार होने से हिमालय की गति कम है और भूगर्भ में भूकंपीय ऊर्जा निरंतर संचित हो रही है।
शुक्रवार को संस्थान में हिमालय के फॉल्ट जोन की स्थिति पर आयोजित व्याख्यान के दौरान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. आरजे पेरुमल ने नईदुनिया के सहयोगी प्रकाशन जागरण के साथ यह जानकारी साझा की।
उन्होंने बताया कि जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) अध्ययन में जब मुनस्यारी के उत्तर से मोहंड के बीच हिमालय की गति 20 मिलीमीटर प्रतिवर्ष होने की बात सामने आई तो यहां की भूगर्भीय संरचना का भी पता लगाया गया।
मुनस्यारी के उत्तर से लेकर मोहंड के बीच चार बड़े फॉल्ट क्षेत्र 10-15 किलोमीटर की गहराई में 70 से 80 डिग्री तक ढालदार स्थिति में हैं। इससे पूरा भूभाग लॉकिंग (अवरुद्ध) जोन की स्थिति में आ गया है।
ऐसे में हिमालय का एक भूभाग तो 40 मिलीमीटर प्रति वर्ष की दर से गति कर रहा है, जबकि दूसरे के 20 मिलीमीटर ही गति करने पर भूगर्भ में तनाव बढ़ रहा है। इस तनाव से कितनी ऊर्जा संचित हो रही होगी, यह कह पाना मुश्किल है। हालांकि इतना तय है कि इससे उच्च तीव्रता वाला भूकंप कभी भी आ सकता है।