सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में राज्य सरकार द्वारा डांस बार को बंद करना गलत था। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार को झटका देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। इसके साथ ही डांस बार पर लगी रोक को भी हटा दिया गया है।
न्यायधीश अल्तमस कबीर और न्यायमूर्ति एस एस निज्जर की एक खंडपीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को लागू करने पर लगे स्थगनादेश को भी रद्द कर दिया। महाराष्ट्र सरकार ने 2005 में बंबई पुलिस अधिनियम में संशोधन किया थाए जिसे रेस्तरां और बारों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संघ ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
हाईकोर्ट ने 2006 में सरकार का आदेश रद्द कर दिया था। इसके बाद इसी वर्ष राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की याचिका स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखते हुए पाबंदी हटा दी है।
गौरतलब है कि अगस्त 2005 में महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे पोलिस एक्ट में तब्दीली कर डांस बार पर बैन लगा दिया गया था। राज्य के गृह मंत्री आरआर पाटिल ने कहा था कि इससे कई घर बर्बाद हो रहे हैं और राज्य भर में अश्लीलता फैल रही है। फैसले के खिलाफ डांस बार असोसिएशन के लोग हाई कोर्ट गए थे, जहां उनके पक्ष में फैसला दिया गया था। इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया।
मुंबई बार डांस एसोसिएशन के अध्यक्ष मंजीत सिंह सेठी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि हमारे लिए इससे बढिया कोई तोहफा नहीं हो सकता। सरकार को पहले दिन से पता था कि यह गलत फैसला लिया हैए लेकिन सरकार अपनी जिद्द पर अड़ी थी। सुप्रीम कोर्ट को जितनी दुआएं दें कम है। जितनी बड़ी जीत हमारी बॉम्बे हाईकोर्ट से हुई थी उतनी ही बड़ी जीत सुप्रीम कोर्ट से हुई है।
बार बालाओं ने दो दलीलें दीं कि ये हमारी रोजी रोटी है, राइट ऑफ एक्सप्रेशन है। हम अश्लीलता नहीं फैला रहे हैं। हमने इसे न छीना जाए। ये हमारा संविधान का रोजगार हासिल करने का हक है। कोर्ट ने इन दलीलों को सुनने के बाद बार बालाओं के पक्ष में फैसला दिया और सरकार को निर्देश दिया कि वह लॉ एंड ऑर्डर दुरुस्त रखने के लिए काम करे और अश्लीलता पर निगरानी रखने के लिए कोई व्यवस्था की जाए।