नीरजा के बलिदान पर भारत ही नहीं पूरा पाकिस्तान भी रोया था। भारत सरकार ने नीरजा को बहादुरी के लिए सर्वोच्च वीरता पुरस्कार ‘अशोक चक्र’ से सम्मानित किया।
नई दिल्ली : 5 सितंबर 1986 की वो तारीख इतिहास में दर्ज हो गई। आज ही के दिन आतंकियों ने कराची के रास्ते मुंबई से अमेरिका जाने वाले विमान को हाईजैक कर लिया था। मुंबई से उड़ान भरने वाला विमान पैन एम फ्लाइट-73 कराची पहुंचते हुई हाईजैक हो गया था।
आतंकवादी सुरक्षाकर्मियों की वर्दी में विमान के अंदर घुस गए। विमान में घुसते ही अबू निदाल संगठन के आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर फ्लाइट को कब्जे में ले लिया। आतंकी इस विमान को इजरायल ले जाकर क्रैश कराना चाहते थे। उस समय विमान में 379 लोग मौजूद थे।
7 सितंबर 1963 को चंडीगढ़ के एक पंजाबी परिवार में जन्मी नीरजा ने 5 सिंतबर 1986 को यानी आपने 23वें जन्मदिन से केवल 2 दिन पहले को पैन एएम की फ्लाइट 73 में सीनियर पर्सर थीं, ये फ्लाइट मुंबई से अमेरिका जा रही थी लेकिन पाकिस्तान के कराची एयरपोर्ट पर इसे 4 हथियारबंद लोगों ने हाईजैक कर लिया। इस फ्लाइट में 360 यात्री और 19 क्रू मेंबर्स थे। जब आतंकियों ने प्लेन हाईजैक किया तब नीरजा की सूचना पर चालक दल के तीनों सदस्य यानी पायलट, को-पायलट और फ्लाइट इंजीनियर कॉकपिट छोड़कर भाग गए।
आतंकियों ने प्लेन की एयरहोस्टेस नीरजा भनोट से सभी यात्रियों का पासपोर्ट जमा करने को कहा। लेकिन नीरजा इस संकट की घड़ी में असाधारण हिम्मत का परिचय दिया।
नीरजा ने सभी यात्रियों के पासपोर्ट इकट्ठे किए लेकिन विमान में बैठे 5 अमेरिकी यात्रियों के पासपोर्ट छुपाकर बाकी सभी आतंकियों को सौंप दिए। आतंकियों ने एक ब्रिटिश को विमान के गेट पर लाकर पाकिस्तानी सरकार को धमकी दी कि यदि पायलट नहीं भेजा तो वह उसको मार देंगे। लेकिन नीरजा ने उस आतंकी से बात करके ब्रिटिश नागरिक को भी बचा लिया। प्लेन का ईंधन समाप्त हो चुका था और अंधेरा भी गहराने लगा था। नीरजा इसी वक्त का इंतजार कर रही थी। अंधेरे में उसने तुरंत विमान के सारे आपातकालीन द्वार खोल दिए। यात्री उन दरवाजों से बाहर कूदने लगे। यात्रियों को अंधेरे में प्लेन से कूदकर भागता देख आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। इस गोलीबारी में नीरजा समेत 20 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। इसके बाद आतंकी फरार हो गए।
नीरजा को मरणोपरांत देश के सर्वोच्च सैनिक सम्मान से नवाजा गया। नीरजा को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। नीरजा इस सम्मान को पाने वाली देश की पहली आम नागरिक थीं। पाकिस्तान ने भी नीरजा को भी तमगा-ए इंसानियत से नवाजा था।
नीरजा के हत्यारे अभी भी गिरफ्त से बाहर हैं। हालांकि अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई ने जून में नीरजा भनोट के हत्यारों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर जारी की है। इन आतंकियों पर 50 लाख अमेरिकी डॉलर का ईनाम है। यह सभी आतंकी एफबीआई की मोस्ट वांटेड आतंकियों की सूची में शामिल हैं।