नई दिल्ली : देश की जनता से 48वीं बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात की। अपने संबोधन की शुरुआत उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक से की। इसकी दूसरी वर्षगांठ पर उन्होंने कहा कि शनिवार को भारत के सवा-सौ करोड़ देशवासियों ने, पराक्रम पर्व मनाया था। शायद ही कोई भारतीय होगा जिसे हमारे सशस्त्र बलों पर, हमारे सेना के जवानों पर गर्व न हो। भारतीय चाहें वो किसी भी क्षेत्र, जाति, धर्म, पंथ या भाषा का क्यों न हो- हमारे सैनिकों के प्रति अपनी खुशी अभिव्यक्त करने और समर्थन दिखाने के लिए हमेशा तत्पर रहता है।
सर्जिकल स्ट्राइक पर पीएम मोदी ने कहा कि हमने 2016 में हुई उस सर्जिकल स्ट्राइक को याद किया जब हमारे सैनिकों ने हमारे राष्ट्र पर आतंकवाद की आड़ में प्रॉक्सी वॉर की धृष्टता करने वालों को मुँहतोड़ ज़वाब दिया था। देश में अलग-अलग स्थानों पर हमारे सशस्त्र बलों ने प्रदर्शनी लगाई ताकि अधिक से अधिक देश के नागरिक खासकर युवा-पीढ़ी यह जान सके कि हमारी ताकत क्या है। पराक्रम पर्व जैसा दिवस युवाओं को हमारी सशस्त्र सेना के गौरवपूर्ण विरासत की याद दिलाता है और देश की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने के लिए हमें प्रेरित भी करता है।
शांति सेना का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि भारत सदा ही शांति के प्रति वचनबद्ध और समर्पित रहा है। 20वीं सदी में दो विश्वयुद्धों में हमारे एक लाख से अधिक सैनिकों ने शांति के प्रति अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। आज भी यूएन की अलग-अलग शांति सेना में भारत सबसे अधिक सैनिक भेजने वाले देशों में से एक है।
भारतीय वायुसेना की तारीफ करते हुए मोदी ने कहा कि 8 अक्टूबर को हम ‘वायुसेना दिवस’ मनाते हैं। 1932 में छह पायलट और 19 वायु सैनिकों के साथ एक छोटी सी शुरुआत से बढ़ते हुए हमारी वायुसेना आज 21वीं सदी की सबसे साहसिक और शक्तिशाली वायुसेना में शामिल हो चुकी है। यह अपने आप में एक यादगार यात्रा है। 1947 में जब पाकिस्तान के हमलावरों ने एक अप्रत्याशित हमला शुरू किया तो यह वायुसेना ही थी जिसने श्रीनगर को हमलावरों से बचाने के लिए ये सुनिश्चित किया कि भारतीय सैनिक और उपकरण युद्ध के मैदान तक समय पर पहुंच जाएं। वायुसेना ने 1965 में भी दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया।
युद्ध में वायुसेना की भूमिका पर बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वायुसेना ने 1965 में भी दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया। 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता की लड़ाई कौन नहीं जानता है। 1999 करगिल की घुसपैठियों के कब्जे से मुक्त कराने में भी वायुसेना की भूमिका अहम रही है। टाइगर हिल में दुश्मनों के ठिकानों में रात-दिन बमबारी कर वायुसेना ने उन्हें धूल चटा दी। राहत एवं बचाव कार्य हो या फिर आपदा प्रबंधन हमारे एयर वॉरियर्स उनके सराहनीय कार्य को लेकर देश वायुसेना के प्रति कृतज्ञ है।
भारतीय नौसेना के अधिकारी अभिलाष टोमी के बारे में बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अभिलाष अपने जीवन और मृत्यु की लड़ाई लड़ रहे थे। पूरा देश चिंतित था कि टोमी को कैसे बचाया जाए। आपको पता है अभिलाष टोमी एक बहुत साहसी-वीर अधिकारी हैं। वे अकेले कोई भी आधुनिक तकनीक के बिना एक छोटी सी नाव ले कर, विश्व भ्रमण करने वाले पहले भारतीय थे। पिछले 80 दिनों से वह दक्षिण हिन्द महासागर में गोल्डन ग्लोब रेस में भाग लेने समुंदर में अपनी गति को बनाये रखते हुए आगे बढ़ रहे थे लेकिन भयानक समुद्री तूफ़ान ने उनके लिए मुसीबत पैदा की लेकिन भारत के नौसेना का यह वीर समुंदर के बीच अनेक दिनों तक जूझता रहा, जंग करता रहा।
राष्ट्र को 2 अक्टूबर का महत्व बताते हुए मोदी ने कहा कि 2 अक्टूबर हमारे राष्ट्र के लिए इस दिन का क्या महत्व है, इसे बच्चा-बच्चा जानता है। इस वर्ष का 2 अक्टूबर का और एक विशेष महत्व है। अब से 2 साल के लिए हम महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के निमित्त विश्वभर में अनेक विविध कार्यक्रम करने वाले हैं। 1941 में महात्मा गांधी ने रचनात्मक कार्यक्रम के रूप में कुछ विचारों को लिखना शुरू किया। बाद में 1945 में जब स्वतंत्रता संग्राम ने जोर पकड़ा तब उन्होंने, उस विचार की संशोधित प्रति तैयार की। पूज्य बापू ने किसानों, गांवों, श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा, स्वच्छता, शिक्षा के प्रसार जैसे अनेक विषयों पर अपने विचारों को देशवासियों के सामने रखा है। इसे गांधी चार्टर भी कहते हैं।
स्वतंत्रता संग्राम में गांधी के योगदान को याद करते हुए पीएम ने कहा, ‘महात्मा गांधी के आह्वान पर समाज के हर क्षेत्र, हर वर्ग के लोगों ने स्वयं को समर्पित कर दिया। बापू ने हम सब को एक प्रेरणादायक मंत्र दिया था जिसे अक्सर, गांधी जी का तलिस्मान के नाम से जाना जाता है।’ उसमें गांधी जी ने कहा था, ‘मैं आपको एक जंतर देता हूं, जब भी तुम्हें संदेह हो या तुम्हारा अहम् तुम पर हावी होने लगे तो यह कसौटी आजमाओ, जो सबसे गरीब और कमजोर आदमी तुमने देखा हो, उसकी शक्ल याद करो और अपने दिल से पूछो कि जो कदम उठाने का तुम विचार कर रहे हो, वह उस आदमी के लिए कितना उपयोगी होगा। क्या उससे, उसे कुछ लाभ पहुंचेगा! क्या उससे वह अपने ही जीवन और भाग्य पर कुछ काबू रख सकेगा! यानी क्या उससे उन करोड़ों लोगों को स्वराज मिल सकेगा जिनके पेट भूखे हैं और आत्मा अतृप्त है। तब तुम देखोगे कि तुम्हारा संदेह मिट रहा है और अहम् समाप्त हो रहा है।’
मन की बात में लाल बहादुर शास्त्री का जिक्र करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘कहते हैं कि लाल बहादुर शास्त्री जी खादी के पुराने या कटे-फटे वस्त्रों को भी इसलिए सहेज कर रखते थे क्योंकि उसमें किसी का परिश्रम छुपा होता है। वे कहते थे ये सब खादी के कपड़े बड़ी मेहनत से बनाए हैं- इसका एक-एक सूत काम आना चाहिए। देश से लगाव और देशवासियों से प्रेम की ये भावना छोटे से कद-काठी वाले उस महा-मानव के रग-रग में रची-बसी थी। दो दिन बाद पूज्य बापू के साथ ही हम शास्त्री जी की भी जयंती मनाएंगे। लाल बहादुर शास्त्री जी की ये विशेषता थी कि बाहर से वे अत्यधिक विनम्र दिखते थे परन्तु भीतर से चट्टान की तरह दृढ़ निश्चयी थे। ‘जय जवान जय किसान’ का उनका नारा उनके इसी विराट व्यक्तित्व की पहचान है।’
मध्यप्रदेश की राजमाता सिंधिया के बारे में पीएम मोदी ने कहा, ‘अक्टूबर का महीना हो, जय प्रकाश नारायण जी की जन्म-जयन्ती हो, राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी के जन्म शताब्दी वर्ष का प्रारंभ होता हो- ये सभी महापुरुष हम सब को प्रेरणा देते रहे हैं उनको हम नमन करते हैं और 31 अक्टूबर सरदार साहब की जयंती है, मैं अगली ‘मन की बात’ में विस्तार से बात करूंगा लेकिन आज मैं जरुर इसलिए उल्लेख करना चाहता हूं कि कुछ वर्षों से सरदार साहब की जन्म-जयंती पर 31 अक्टूबर को हिंदुस्तान के हर छोटे-मोटे शहर में, कस्बों में, गांवों में ‘एकता के लिए दौड़’ का आयोजन होता है।