नई दिल्ली : सरकार ने 1 अप्रैल 2019 से सभी वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाना अनिवार्य कर दिया है। नई व्यवस्था के तहत अगले साल अप्रैल से देशभर में बिकने वाले वाहनों में यह प्लेट डीलर लगा कर देंगे। इससे कार, स्कूटर टैक्सी, कैब, ट्रक आदि वाहनों की ऑनलाइन ट्रैकिंग संभव होगी। इससे कैब में महिलाओं के साथ अपराधिक घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी।
सड़क परिवहन मंत्रालय ने 4 दिसंबर को 1 अप्रैल 2019 से सभी नए वाहनों में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लगाने की अधिसूचना जारी कर दी है। इसमें कहा गया है कि केंद्रीय मोटर वाहन नियम 50 के तहत हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने संबंधी मसौदा 10 अप्रैल 2018 को जनता के सुझाव के लिए जारी किया गया था।
सरकार ने सभी सुझावों को मध्य नजर रखते हुए अब वाहनों में हाई सिक्योरिटी प्लेट लगाने के नियम 1 अप्रैल 2019 से लागू कर दिए हैं। अधिसूचना में कहा गया है कि वाहन निर्माता अपने समस्त डीलरों को नंबर प्लेट उपलब्ध करवाएंगे और डीलर वाहनों में इस प्लेट को लगाने के बाद ही शोरूम से बाहर निकालेंगे। इसके अलावा जरूरत के मुताबिक वाहन निर्माता अपनी पुरानी गाड़ियों के लिए भी डीलरों को नंबर प्लेट उपलब्ध कराएंगे।
दिल्ली में 60 फीसदी वाहनों में पुरानी प्लेट
परिवहन विशेषज्ञों का कहना है दिल्ली में चार साल से हाई सिक्योरिटी प्लेट लगाई जा रही हैं अभी तक लगभग 2500000 कार, स्कूटर, मोटरसाइकिल में प्लेटे लगाई जा चुकी है। लेकिन 60 फीसदी वाहनों में पुरानी प्लेट लगी है। वहीं देश के दूसरे राज्यों में हाई सिक्योरिटी प्लेट लगाने का काम अभी शुरू नहीं हुआ है।
बता दें कि हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट 2001 में लगाने का फैसला किया गया था। लेकिन कंपनियों ने इसको लेकर अदालत में चुनौती दी जिसके कारण या योजना फ्लॉप हो गई। परिवहन विशेषज्ञ अनिल छिकारा का कहना है कि वाहन निर्माता सिक्योरिटी प्लेट उपलब्ध करवाएंगे। इससे अब योजना के सफल होने की उम्मीद है। हाई सिक्योरिटी प्लेट से अपराध करने वालों की धरपकड़ आसान होगी। प्लेट की मदद से वाहन स्वामी की तमाम जानकारी एक क्लिक पर कंप्यूटर स्क्रीन पर आ जाएगी।
जानिए, सिक्योरिटी प्लेट ऐसे काम करेगा
हाई सिक्योरिटी प्लेट डायनेमिक होगी। इसमें जीपीएस आधारित एक चिप लगी होगी। इसकी मदद से पुलिस कंट्रोल रूम अथवा क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय कभी भी किसी भी गाड़ी को ट्रैक कर सकता है। डुप्लीकेट नंबर प्लेट बनने से रोकने के लिए इसमें लेजर मार्क और होलोग्राम जैसे सुरक्षा उपाय भी रखे गए हैं।