नई दिल्ली : लोकसभा चुनावों के लिए बिहार (Bihar) में एनडीए (NDA) के सहयोगी दलों के बीच सीटों का समझौता हो जाने के बाद अब महाराष्ट्र (Maharashtra) का बड़ा पेंच बाकी है। भाजपा नेतृत्व एक साथ चुनाव लड़ने के पक्ष में है, लेकिन शिवसेना फिलहाल इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं कर रही है। अंदरूनी तौर पर बिहार की तरह समझौते की पेशकश भी की जा रही है।
तीन राज्यों में सरकार गंवाने के बाद भाजपा लोकसभा चुनावों को लेकर सहयोगी दलों से संबंध बेहतर करने में जुटी है। वहीं सहयोगी दलों के तेवर तीखे हैं। बिहार में लोजपा का दबाव काम आया है और अब महाराष्ट्र में शिवसेना भाजपा पर हमलावर है। राज्य में हाल में भाजपा के अंदरूनी सर्वे में यह बात सामने आई है कि अगर दोनों दल पिछले लोकसभा चुनाव की तरह साथ लड़ते हैं तो बेहकर परिणाम आएंगे, जबकि अलग-अलग लड़ने पर दोनों को नुकसान होगा।
सूत्रों के अनुसार शिवसेना केंद्र व राज्य में भाजपा नेतृत्व वाली सरकार में उचित प्रतिनिधित्व न मिलने से लगातार नाराज चल रही है। हालांकि, राजनीतिक परिस्थितियों में दोनों जगह वह सरकार में भी शामिल है। नये समीकरणों में शिवसेना को साधने के लिए भाजपा ने बराबर-बराबर सीटों पर लड़ने के संकेत दिए हैं। एक-दो सीटें रिपब्लिकन पार्टी (ए) व अन्य को दी जा सकती हैं। बता दें कि बीता चुनाव दोनों दलों ने मिलकर लड़ा था और 48 में से 41 सीटें जीती थीं। भाजपा 26 और शिवसेना 22 सीटों पर लड़ी थी। बाद में विधानसभा चुनाव में समझौता टूट गया था।