बिहार, सहरसा : ये समाज अपने निकृष्टतम स्वरूप को प्राप्त कर चुका है। सड़ी-गली ईज्जत, झूठे दंभ और बेकार शानो-शौकत मे एक लड़की की मौत इसके लिए आम बात है। उसमें भी यदि लड़की ऑर्केस्ट्रा मे नाचने वाली हो और ‘पियवा से पहिले हमार रहलू…’ गाने पर नाचते वक्त गोली मार दी गई हो तो फिर किसको ही क्या फर्क पड़ता है ?
मामला है जिला सहरसा के सोनबरसा थाना क्षेत्र के विराटपूर गाँव का, जहाँ एक शादी मे नाचने के लिए बुलाई गई लड़की आकृति सिंह (मधु सिंह) को स्टेज पे नाचते वक्त ही दारू के नशे मे गोली मार के हत्या कर दी गई। शादी बुधवार की रात थी जिसमे नाचने के लिए मूल रूप से सुपौल निवासी और सहरसा मे ही किराए के मकान मे रहने वाली मधु को उसके ऑर्केस्ट्रा ग्रुप के साथ नाचने के लिए बुलाया गया था। अब तक मिली जानकारी के अनुसार मधु के पिता की मौत दस साल पहले हो जाने के बाद परिवार और बीमार माँ की ज़िम्मेदारी उसी के कंधे पर आ गई थी और इसी के चलते उसे पेट पालने व परिवार चलाने के लिए ऑर्केस्ट्रा मे नाचने को मजबूर होना पड़ा था। उसकी हत्या का विडियो आया है जिसमे उसके ‘पियवा से पहिले हमार रहलू…’ गाने पर नाचते वक्त कुछ नोट उड़ाए जाते हैं, उसके साथ ही एक रिवॉल्वर भी चलते हुए दिखता है और नाचते-नाचते ही मधु स्टेज पर ढ़ेर हो जाती है (विडियो लिंक मैं कॉमेंट मे डाल रहा हूँ)।
घटना विराटपुर गांव की है जहाँ शादी मे आए बाराती और अतिथियों के मनोरंजन के लिए ऑर्केस्ट्रा का इंतजाम था। ‘नाइट स्क्रीन’ नाम के इस आर्केस्ट्रा मे मधु मुख्य डांसर थी। बुधवार शाम को प्रोग्राम शुरू हुआ। शादी तनिक हाई-प्रोफ़ाइल थी और कई स्थानीय पूलिस ऑफिसर भी आमंत्रित थे। शुरुआती कुछ घंटे तक पुलिस मौके पर मौजूद रही और सबकुछ नियंत्रण में रहा, लेकिन रात चढ़ते ही माहौल बदल गया। पुलिसवालों के जाते ही लोग नशे में धुत्त होकर हवा मे फायरिंग करने लगे। आर्केस्ट्रा के लिए काम करने वाले एक व्यक्ति के अनुसार “माहौल खतरनाक हो गया था, शराब के नशे में धुत्त लोग झूम रहे थे, करीब 75 से अधिक लोग ऐसे थे जिनके हाथ में हथियार थे और वो एक के बाद एक लगातार हवा में फाइरिंग कर रहे थे। गोली चलने से आर्केस्ट्रा पार्टी वाले लोग डरे हुए थे, लेकिन उनके पास प्रोग्राम जारी रखने के अलावा कोई चारा न था। मधु लोगों की फरमाइश के अनुसार लाउड भोजपूरी व हिन्दी गीतों पर नाच रही थी, कुछ लोग मंच पर चढ़कर उस पर पैसे लुटा रहे थे और सामने खड़े लोग फायरिंग कर रहे थे। इसी दौरान एक गोली चली और मधु के सिर में आकर लगी, गोली लगते ही मधु मंच पर गिर गई और उसके सिर से तेजी से खून बहने लगा। डांसर को गोली लगते ही आर्केस्ट्रा देखने वाले लोग भाग गए। आर्केस्ट्रा के लोगों ने किसी तरह मधु को सहरसा बाजार स्थित हॉस्पिटल पहुंचाया जहां इलाज के दौरान गुरुवार सुबह करीब छह बजे उसकी मौत हो गई।”
वैसे पूलिस ने स्थानीय थानाध्यक्ष को निलंबित कर दिया है और दो आरोपी को गिरफ्तार करके न्यायिक हिरासत मे भेज दिया है लेकिन ये सब सिर्फ माहौल को शांत करने के लिए किया गया है क्योंकि जिस थानाध्यक्ष को निलंबित किया गया है वो ‘सुमन कुमार’ तो उस दिन अपने किसी रिस्तेदार के यहाँ शादी मे छुट्टी लेकर गए हुए थे। कुछ सवाल हैं जिसके लिए कोई सिर्फ प्रशासन को दोषी ठहराया जाना गलत है, प्रशासन कमजोड़ जरूर है लेकिन इसके साथ ही हमारा समाज भी सामूहीक रूप से दोषी है। दारुबंदी के बावजूद इस स्तर पर दारुबाजी करना, शादी मे दर्जनों गैरलाइसेन्सी बंदूकें लहराना, लाउड म्यूजिक ऑर्केस्ट्रा और शानो-शौकत दिखाने के लिए सरेआम कानून तोड़ना आज हमारे समाज मे फ़ैशन है और लोग ये सब बड़े ठाठ से कर रहे हैं। अस्लीलता मुक्त समाज की झूठी थोथी करने वाले लोग क्यों नहीं ऐसे शादीयों का विरोध करते हैं ? यहाँ तो पूरा समाज ही अस्लील है जबकि लोग हमेशा कलाकार को दोष देते हैं। तो क्यों नहीं यदि एक लड़की की ऐसे हत्या हुई है तो आपके मुंह से क्यों बकार नहीं फूटता ? क्या सिर्फ गोली चलाने वाला दोषी है ? अंधाधुंध फाइरिंग करते जिस दारुबाज़ भीड़ के सामने नाचते हुए उस लड़की की मौत हो गई, क्या उसमे उपस्थित हरेक व्यक्ति दोषी नहीं है ? क्या हमारा पूरा समाज दोषी नहीं है ?
(आदित्य मोहन)