Surgical Strike 2: अभी तो प्रैक्टिस था, रियल बाकी है: PM मोदी

नई दिल्ली : दिल्ली में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विज्ञान से जुडे़ हमारे संस्थानों को भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप अपने आपको गढ़ना होगा। हमें अपनी मौलिक शक्ति को बनाए रखते हुए भविष्य के समाज और आर्थव्यवस्था के हिसाब से ढालना होगा। उन्होंने कहा कि विज्ञान से जुड़ी हमारी संस्थाओं को भी भविष्य की आवश्यकताओं के हिसाब से ढलना होगा।

जानिये, PM मोदी के भाषण की 10 ख़ास बातें

1. अभी-अभी एक ‘पायलट प्रोजेक्ट’ पूरा हो गया। अभी रियल करना है, पहले तो प्रैक्टिस थी।
2. आज भारत दुनिया की सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन चुका है और भारतीय वैज्ञानिकों ने हमेशा मानवता की भलाई के लिए अपना योगदान दिया है।

भारतीय वायुसेना के पायलट अभिनंदन को कल छोड़ेगा पाकिस्तान: इमरान खान

3. विज्ञान से जुड़े हमारे संस्थानों को भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप अपने आपको गढ़ना होगा। हमें अपनी मौलिक शक्ति को बनाए रखते हुए भविष्य के समाज और इकॉनमी के हिसाब से ढालना होगा।
4. जब इच्छाशक्ति हो तो सीमित संसाधनों में भी कैसे अद्भुत परिणाम दिए जा सकते हैं, इसका उदाहरण हमारा अंतरिक्ष कार्यक्रम है।
5. बायो फ्यूल के मामले में भी सीएसआईआर बड़ी भूमिका निभा रहा है। सीएसआईआर ने जो एविएशन बायो फ्यूल बनाया है, उसका ट्रायल भी 27 अगस्त 2018 को, इससे संचालित होने वाले हवाई जहाज को देहरादून से दिल्ली तक उड़ाकर किया जा चुका है।

पुलवामा हमला: भारत ने पाकिस्तान को सौंपा आतंकी करतूतों का ‘काला चिट्ठा’

6. अब हमारे फार्मा सेक्टर और बायोटेक सेक्टर को अधिक गति देने का समय आ गया है।
7. आज भारत दुनिया की सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन चुका है । लोकतंत्र, आबादी और मांग की ताकत भी है । युवाओं का इसमें खासा योगदान है ।
8. अगर हमारी संस्थाओं की सोच पुरानी होगी तो आकांक्षाएं पूरी नहीं हो पायेंगी। प्रधानमंत्री ने अनुसंधान एवं नवाचार को गति देने की जरूरत बतायी और कहा कि हमारे शोध को समाधानोन्मुख होना चाहिए । इसे स्वास्थ्य, सफाई, स्वच्छता, कचरा प्रबंधन, कृषि, साइबर सुरक्षा जैसे विषयों में सवालों का उत्तर बनना होगा ।
9. विज्ञान को बुनियादी चीजों से जुड़ा होना चाहिए लेकिन उसे भारतीय परिस्थितियों और जरूरतों के अनुरूप होना होगा । हमें अपने तहखानों से बाहर निकलना होगा और शोध को समाधानोन्मुख बनाना होगा । उन्होंने कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों ने हमेशा मानवता की भलाई के लिए अपना योगदान दिया है ।
10. जब इच्छाशक्ति हो तो सीमित संसाधनों में भी कैसे अद्भुत परिणाम दिए जा सकते हैं, इसका उदाहरण हमारा अंतरिक्ष कार्यक्रम है। उन्होंने इस संदर्भ में चंद्रयान और मंगल अभियान का भी जिक्र किया । 2022 में देश का अपना गगनयान देश के बेटे..बेटी को लेकर अंतरिक्ष में जायेगा।उन्होंने कहा कि जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान नये भारत के निर्माण का रास्ता बने ।