आज किश्तवाड़ हिंसा की गूंज संसद में भी सुनाई दी और बीजेपी ने अपने वरिष्ठ नेता अरुण जेटली को रविवार को किश्तवाड़ जाने से रोके जाने को लेकर जम्मू-कश्मीर सरकार की आलोचना की और हिंसा को लेकर उमर अब्दुल्ला सरकार पर निशाना साधा।
किश्तवाड़ हिंसा के बाद जम्मू-कश्मीर में पैदा हुई तनावपूर्ण स्थिति को लेकर चौतरफा हमले से घिरी केंद्र सरकार ने दावा किया है कि सेना की मदद से स्थिति पर नियंत्रण पा लिया गया है। धीरे-धीरे हालात सुधर रहे हैं। गौरतलब है कि शुक्रवार को शुरू हुई हिंसा में अब तक तीन लोगों की मौत हो गई है।
भले ही शुक्रवार को हिंसा किश्तवाड़ में हुई लेकिन सोमवार को हंगामा संसद में देखने को मिला। लोकसभा में भी बहुत बवाल हुआ और इस बिच बने माहौल को देखते हुए कई बार राज्यसभा की कार्यवाही भी स्थगित करनी पड़ी। दोपहर को राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने अपने भाषण के दौरान आरोप लगाया कि हिंसा में राज्य के एक मंत्री का हाथ है।
जेटली के मुताबिक़ए लोग चिल्ला रहे थे और पुलिस मूक दर्शक बनी रही। शिकायत आई कि राज्य सरकार का मंत्री इन्वॉल्व हैए जिसकी जांच होनी चाहिए। जेटली के हमले को देखते हुएए जवाब देने के लिए तुरंत फारुक अब्दुल्ला खड़े हो गए। फारुक ने जेटली को 2002 के गुजरात दंगों की याद दिला दी। फारुक ने कहा, 2002 में लोगों को अहमदाबाद नहीं जाने दिया गया। सेना को नहीं लगाया गया और ये मोदी की जागीर नहीं है।
किश्तवाड़ हिंसा के आरोपों के बाद जम्मू-कश्मीर के गृह राज्यमंत्री सज्जाद किचलू ने इस्तीफा दे दिया है। शुक्रवार को किश्तवाड़ में जो हिंसा हुई थी उसका आरोप किचलू पर ही लग रहा था राज्यसभा में जेटली ने किश्तवाड़ हिंसा का मुद्दा उठाया तो नेशनल कॉन्फ्रेंस ने पूछा है कि 2002 के दंगों के बाद मोदी ने इस्तीफा क्यों नहीं दिया था? अब यहाँ सवाल ये उठता है कि क्या किश्तवाड़ दंगों की तुलना गुजरात से करना सही है?