पिछले साल 16 दिसंबर की रात वसंत विहार में चलती बस में 23 वर्षीया पैरा मेडिकल स्टूडेंट से हुए सामूहिक दुष्कर्म जिसने देश को देहला कर रख दिया था, इस मामले में शनिवार को पहला फैसला बाल न्यायलय द्वारा सुनाया गया। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट गीतांजलि गोयल ने नाबालिक को सामूहिक दुष्कर्म और ह्त्या के मामले में दोषी करार देते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाई है।
कोर्ट के फैसले के बाद पीड़िता के माता-पिता आहत दिखे। नाबालिग के खिलाफ फैसला सुनाए जाने के बाद पीड़िता की मां बोर्ड से बाहर आईं और पत्रकारों से कहा कि वह नाबालिग दोषी को दी गई सजा से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह दोषी कुछ दिनों में रिहा हो जाएगा। क्या मेरी बेटी के साथ जो कुछ हुआ इसका यही इंसाफ है। यदि यही इंसाफ है तो मुझे मंजूर नहीं है। यह फैसला शर्मनाक और हैरान करने वाला। पीड़िता के पिता ने रोते हुए कहा कि कहा कि इस देश में बेटी पैदा करना ही गुनाह है। पीड़िता की मां ने कहा, इस फैसले के बाद पूरी दुनिया महसूस कर रही होगी कोर्ट के फैसले से मेरी बेटी को इंसाफ नहीं मिला है।
इसी के साथ पीड़िता के पिता ने पत्रकारों से कहा, हमारी बेटी तो मर चुकी है, और अब यह फैसला सुनने के बाद तो हमारी हालत भी मरे के समान ही हो गई है। इससे तो सिर्फ अपराध को ही बढ़ावा मिलेगा। नाबालिग के खिलाफ फैसला आने के बाद बोर्ड के बाहर कुछ प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी की तथा नाबालिग अभियुक्त को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की।
दरअसल, इस मामले में न्याय बोर्ड ने इस बात का खुलासा करने से इनकार कर दिया कि नाबालिग अभियुक्त को किन आरोपों में सजा दी गई है, तथा किन आरोपों से उसे बरी कर दिया गया है। बोर्ड ने कहा कि सुनवाई के दौरान हिरासत में बिताए गए आठ महीनों को नाबालिग को दी गई तीन वर्ष की सजा में से कम कर दिया जाएगा। नाबालिग अभियुक्त के वकील ने कहा कि नाबालिग को दी गई सजा के दौरान बाल सुधार गृह में उसके आचरण को ध्यान में रखा जाएगा तथा उसके आधार पर किशोर को दी गई सजा की पुनर्समीक्षा की जाएगी।