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जयराम रमेश के द्वारा इस्तीफा देने की कयास से सत्याग्रहियों को झटका

unnamedपटना। यूपीए एक की सरकार में रघुवंश प्रसाद केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री थे। यूपीए दो की सरकार में जयराम रमेश केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री हैं। खबर है कि कुर्सी की मोहभंग करके कांग्रेज पार्टी को मजबूती प्रदान करेंगे। दोनों माननीय मंत्रियों ने पदयात्रा करने वाले सत्याग्रहियों को आश्वासन देने के बाद वादे को प्रधानमंत्री से पूरा करवाने में पीछे रह गये। नतीजन आज भी सत्याग्रहियों की मांग राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति और आवासीय भूमि अधिकार कानून पर चन्दग्रहण लगा हुआ है। इस चन्दग्रहण को हटाने के लिए माननीय मंत्री और सांसदों से आग्रह किया गया कि सत्याग्रहियों की मांग को पूर्ण करवाने में सहयोग करें। 

बहरहाल भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत के कथनानुसार अगले साल होने वाले आगामी आम चुनाव कई चरणों में कराए जाएंगे और यह प्रक्रिया समय पर पूरी की जाएगी, ताकि एक जून तक 16 वीं लोकसभा का गठन हो सके। इसके साथ ही राजनीतिक पार्टियों ने संगठन को और मजबूत करके जनता जर्नादन के पक्ष में कार्य करने की जरूरत समझ लिये।

इसके आलोक में यूपीए सरकार के केंद्रीय पर्यावरण और वन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयंती नटराजन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्हें लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी में जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं। सूत्रों ने कहा है कि और भी मंत्री इस्तीफा देंगे और कांग्रेस में संगठनात्मक फेरबदल किया जाएगा। फेरबदल की यह पूरी प्रक्रिया राहुल गांधी को 17 जनवरी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने से पहले पूरी कर ली जाएगी।

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव से पहले और मंत्री जल्द इस्तीफा दे सकते हैं, क्योंकि पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी जिम्मेदारियों में फेरबदल करने वाले हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री आर.पी.एन. सिंह, कंपनी मामलों के मंत्री सचिन पायलट और बिजली मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी नटराजन के तर्ज पर इस्तीफा दे सकते हैं।

इस बीच केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश के द्वारा इस्तीफा देने की कयास से सत्याग्रहियों को झटका लगा है। सत्याग्रहियों का कहना है कि यूपीए सरकार ने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे को खुश करने के लिए लोकपाल विधेयक को राज्य सभा और लोकसभा से पारित करा के कानून बना दिये है। वहीं विख्यात गांधीवादी चिंतन पी.व्ही.राजगोपाल और उनके सत्याग्रहियों को नाखुश कर रखे हैं। उनको यूपीए एक और यूपीए दो की सरकार ने आश्वासन के झुनझुना ही थमाकर संतोष कर दिये। सत्याग्रहियों ने यूपीए एक की सरकार के समय वर्ष 2007 में जनादेश 2007 और यूपीए दो की सरकार के कार्यकाल में जन सत्याग्रह 2012 के पदयात्रा किये थे।

सत्याग्रहियों की मांग राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति और आवासीय भूमि अधिकार कानून बनवाने में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश पीछे रह गये। अब तो केन्द्रीय मंत्री से इस्तीफा देकर पार्टी को मजबूत करने में जुटने वाले हैं। इस तरह राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति और आवासीय भूमि अधिकार कानून का भविष्य अधर में लटक गया है। वहीं सत्याग्रही आगामी आम चुनाव के समय में ‘आगे जमीन पीछे वोट नहीं जमीन नहीं वोट’ नारा बुलंद करने लगे हैं। सत्याग्रही जनादेश 2007 और जन सत्याग्रह 2012 में पदयात्रा के समय दिये गये आश्वासनों को पूरा करवाने पर जोर दे रहे हैं।