लखनऊ। दंगा पीड़ितों का मसला यूपी सरकार के लिए मुश्किल का सबब बनता जा रहा है। यूपी के सीम अखिलेश यादव भी इस मसले पर न तो एक शब्द सुनने के लिए तैयार है और न ही कोई जवाब देने के लिए। सोमवार को अखिलेश यादव के एक समारोह में एक ऐसा ही नजारा देखने को मिला। जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एक टीवी चैनल के पत्रकार पर इस कदर नाराज हुए, उसे ना केवल चुप रहने को कहा बल्कि उसे पीछे जाकर खड़े रहने का आदेश भी सख्त लहजे में कहा।
मौका था प्रदेश सरकार और एच सी एल के बीच होने वाले करार का। लखनऊ में स्थापित हो रहे आई टी सिटी के करार के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जैसे ही माइक सम्भाला। तो पत्रकारो ने मुजफ्फरनगर से जुड़े सवालो की बौछार कर दी। इस दरम्यान जब एक निजी चैनल के पत्रकार ने शिव नाडर से मुजफ्फरनगर का हवाला देते हुए प्रदेश के क़ानून व्यवस्था पर सवाल किया। तभी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का मूड खराब हो चूका था। उन्होंने माइक शिव नाडर की तरफ माइक करते हुए कहा इनके बाद मैं जबाब दूंगा आपके सवाल पर।
मगर शिव नाडर का जबाब पूरा होता तभी जो उस प्रेस कांफ्रेंस में हुआ। उसे देख और सुनकर सब सन्न रह गए। दरअसल एक दूसरे निजि चैनल के पत्रकार ने जैसे ही दंगा पीड़ितों की स्थिति से जुड़ा सवाल पूछा तो यूपी के सीएम आपा खो बैठे और सख्त लहजे में पत्रकार को चुप रहने को कहा, मगर पत्रकार के दुबारा सवाल करने के कोशिश करने पर मुख्यमंत्री ने उसे उंगली दिखाते हुए कहा “मैंने कहा ना तुम चुप ही रहो। तुम पीछे खड़े ज्यादा अच्छे लगते है। तुम पीछे जाओ। तुम आगे कैसे आ गए, तुम पीछे ही जाओ, वहीं ठीक लगते हो। जाओ, जाओ ..वहीं जाओ।”
मुख्यमंत्री के इस रवैये को देख शिव नाडर भी समझ नहीं पाये। और ना ही वहा बैठे पत्रकार। मगर मजे की बात ये रही कि किसी भी मुख्यमंत्री जी से ये पूछने की जहमत नहीं उठाई कि आखिर माजरा क्या है। क्यों मुख्यमंत्री क्यों भड़क गए। थोड़ी देर के लिए इस मामले के बाद हॉल में खामोशी छायी रही। मगर तुरंत सबकुछ सामान्य हो गया। और सबसे ज्यादा हैरत वाली ये बात रही कि सपा सरकार के हर मसले पर बयान बाजी करने वाले किसी भी पार्टी प्रवक्ता ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। हां ऑफ़ द रिकार्ड इतना जरुर कहा कि ये ठीक नहीं हुआ, और इसकी सबसे बड़ी वजह पत्रकारो का एक ना होना बताया।