बांग्लादेश हिंसक विरोध के बाद देश छोड़ कर भारत में रह रहीं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की टेंशन बढ़ गई है. बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने ऐसा कदम उठाया है कि उनकी मुश्किल बढ़ सकती है और उनको भारत छोड़कर बांग्लादेश जाना पड़ सकता है. इंटरनेशनल क्राइम ट्रीब्यूनल (बांग्लादेश) ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. यह ट्रिब्यूनल उनके खिलाफ इसी साल के छात्र आंदोलन के दौरान हिंसा और नरसंहार को लेकर गिरफ्तारी वरंट जारी किया है. कोर्ट ने उनको 18 नवंबर को पेशी का आदेश दिया है.
अभियोजन पक्ष ने हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के खिलाफ छात्र विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हत्याओं में कथित रूप से शामिल 50 अन्य लोगों के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट का अनुरोध किया है. ट्रिब्यूनल को अब तक निर्वासित नेता और उनकी अवामी लीग के सहयोगियों के खिलाफ जबरन गायब करने, हत्या और सामूहिक हत्याओं की 60 शिकायतें मिल चुकी हैं. हसीना के 15 साल के शासन में व्यापक मानवाधिकार हनन देखने को मिले, जिसमें उनके राजनीतिक विरोधियों को बड़े पैमाने पर हिरासत में लेना और उनकी हत्याएं शामिल हैं.
अभियोजन पक्ष ने आगे कहा कि इस्लाम ने इसे “एक उल्लेखनीय दिन” बताते हुए कहा, ‘शेख हसीना उन लोगों के शीर्ष पर थीं, जिन्होंने जुलाई से अगस्त तक नरसंहार, हत्याएं और मानवता के खिलाफ अपराध किए.’ इस बीच हिंसक आंदोलन के बाद से सत्ता छोड़कर 5 अगस्त को भारत चलीं आई थीं. वह यूरोपिय देशों में शरण लेने की कोशिश में थी. हालांकि, किसी अन्य देश में शरण नहीं मिल पाने के वजह से तब से वह भारत में रह रहीं हैं. हसीना ढाका से भागने और भारत में शरण लेने के बाद से सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आई हैं.
शेख हसीना जब बांग्लादेश की सत्ता में आई थी, तब आरक्षण को लेकर देशव्यापी आंदोलन शुरू हुआ था. सरकारी नौकरियों की कमी से परेशान छात्र, एक ऐसे कोटा को समाप्त करने की मांग कर रहे थे, जो 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले दिग्गजों के रिश्तेदारों के लिए 30 प्रतिशत सरकारी नौकरियों में रिजर्वेशन देता था. नौकरी में कोटा के विरोध में शुरू हुए प्रदर्शनों में लगभग 300 लोग मारे गए. लेकिन, यह विरोध प्रदर्शन हसीना को उखाड़ फेंकने की मांग को लेकर एक आंदोलन में बदल गया.
आपको बताते चलें कि अगस्त में ही हसीना के प्रत्यर्पण की मांग भी जोर पकड़ने लगी थी. बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बीएनपी यानी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने मुकदमा चलाने के लिए भारत से कई मौको पर शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की थी. अब देखना होगा कि इंटरनेशनल क्राइम ट्रीब्यूनल (बांग्लादेश) के हसीना के गिरफ्तारी वारंट और केस चलाने के आदेश पर भारत या फिर बांग्लादेश क्या फैसला लेता. ऐसा लग रहा है कि सत्ता जाने के बाद भी शेख हसीना की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं.