उत्तर प्रदेश, सोनभद्र। नगवाँ ब्लाक के महुली वन सेन्चुरी में अवैध खनन का कार्य छात्र शक्ति के द्वारा जोरों पर कराया जा रहा है जिसके द्वारा उक्त क्षेत्र में सड़क निर्माण का कार्य हो रहा है। सड़क निर्माण में उपर्युक्त गिट्टी के लिये वन सेन्चुरी के पहाड़ों को ब्लास्टिंग के जरिये तोड़ा जा रहा है। जो नियम और कानून के विरूद्ध है।
छात्र शक्ति द्वरा नगवाँ ब्लाक के महुलीए बड़ीला और खड़ैला क्षेत्रों में 11 किलोमीटर सड़क निर्माण का कार्य चल रहा है। सड़क निर्माण में प्रयुक्त की जाने वाली गिट्टी को इन क्षेत्रों के पहाड़ों से अवैध खनन कर उपयोग में लाया जा रहा है। जबकि यह क्षेत्र वन सेन्चुरी में आता है। जहाँ पर पहाड़ों का खनन करवाना अवैध है। लेकिन अपनी सुविधा और आर्थिक बचत की दृष्टि से पर्यावरणीय तंत्र को छात्र शक्ति द्वारा नष्ट किया जा रहा है।
जबकि सबसे ज्यादा सोचने का विषय यह है कि इस अवैध खनन की खबर वन अधिकारियों और खनन विभाग को क्यों नहीं है घ् या दोनों विभाग के अधिकारियों की मीली भगत से तो नहीं हो रहा है? यदि ऐसा नहीं है तो यह अवैध खनन पिछले कई वर्षों से लगातार छात्र शक्ति के द्वारा सड़क निर्माण के लिये क्यों रहा है? इस बात से यह साफ जाहिर होता है कि इस अवैध खनन को करवाने में दोनों विभागों के अधिकारियों की संलिप्तता है।
इससे पहले इस अवैध खनन के बारे में डीएफओ को सूचित किया जा चुका था परन्तु डीएफओ के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किया गया जिसका परिणाम यह है कि वन सेन्चुरी को नष्ट कर सड़क निर्माण का कार्य जोरों पर चल रहा है। यदि इसी तरह अवैध खनन होता रहा तो वन सेन्चुरी को नष्ट होने से कोई नहीं रोक सकता और पूरा पारिस्थ्तििकी तंत्र भी खतरे में पड़ जायेगा। वन सेन्चुरी में रहने वाले जीवों का अस्तित्व भी संकट में पड़ जायेगा जो सोनांचल का गौरव है।
वहीं दूसरी तरफ वन विभाग और खनन विभाग के अधिकारियों की माने तो वे सीधे तौर पर कहते नजर आते हैं कि उन्हें इस बात का तनीक भी इल्म नहीं है कि किस क्षेत्र में और किसके द्वारा अवैध खनन करवाया जा रहा है। वे अपने आपको साफ-साफ बचाने की कोशिश करते हैं लेकिन दूसरी तरफ प्रश्न यह भी खड़ा होता है कि यदि इनको इस बात का इल्म नहीं है तो वे करते क्या हैं ? क्या वे सिर्फ आॅफिस के एसी रूम में बैठकर बीसलेरी के बोतल का पानी पीते हैं? ऐसा नहीं है, उन्हें सारी जानकारी होती है कि किस क्षेत्र में और किसके द्वारा अवैध खनन करावाया जा रहा है। इन अधिकारियों को चुप बैठने के लिये अवैध लोगों के द्वारा अवैध खनन करवाने के लिये इनकों मोटे तौर पर फीस दी जाती है।
खनन विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि हमारी सैलरी इतनी कम है कि दाल-रोटी चलाना मुश्किल हो जायेगा यदि हम आँख पर पट्टी न बांधे तो। उन्होंने सीधे साफ लफ्जों में यह भी कहा कि अवैध खनन व वैध खनन क्षेत्रों से खनिज विभाग को मोटे तौर पर रकम की अदायगी होती है जिस वजह से हम चुप बैठते है जब काफी हो हल्ला होता है तो एक-दो लोगों को पकड़ा जाता है और बाद में उन्हें छोड़ दिया जाता है और उनको साफ तौर पर हिदायत दी जाती है कि सबको खुश रखने की कोशिश करो।
वहीं दूसरी तरफ स्थानीय निवासियों का कहना है कि अवैध खनन की शिकायत दोनों विभागों के अधिकारियों से की गयी थी लेकिन किसी विभाग के अधिकारियों द्वारा अब तक कोई कार्यवाही नही की गयी। स्थानीय निवासियों द्वारा यह भी जानकारी दी गयी कि उन्हें छात्रशक्ति द्वारा बार.बार धमकी भी दिये जा रहे हैं कि यदि अधिकारियों या उच्च अधिकारियों से ज्यादा शिकायत की गयी तो अच्छा नहीं होगा। स्थानीय निवासियों के विरोध के बावजूद भी वन सेन्चुरी को नष्ट करने पर छात्र शक्तिए खनिज विभाग व वन विभाग अमादा है। इन अधिकारियों को सिर्फ उन्हें पैसों की पोटली नजर आती है जो छात्रशक्ति द्वारा दी जाती है। यह अधिकारी चन्द पैसों की खातिर सोनभद्र की प्राकृतिक सम्पदा को नस्ते-नाबुत करने पर तुले हुये हैं।