प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज एनडीए के सांसदों को अपने घर चाय पार्टी पर बुलाया था, जिसमें प्रधानमंत्री ने सरकार की बड़ी योजनाओं के बारे में विस्तार से बातचीत की। स्वच्छता अभियान से लेकर बीमा योजना और जन धन योजना तक पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री ने गरीबों के लिए पॉलिसी बनाए जाने और उस पर ध्यान केन्द्रित किए जाने पर ज़ोर दिया।
7 रेसकोर्स पर आयोजित इस पार्टी में शिवसेना सहित एनडीए के घटक दलों के सभी नेता मौजूद थे। पार्टी के दौरान सांसदों के सामने सरकार के कामकाज का ब्यौरा रखा गया, साथ ही कई योजनाओं का प्रजेंटेशन भी हुआ। प्रधानमंत्री मोदी की यह पार्टी सिर्फ चाय तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इस मौके पर उन्होंने सांसदों के सामने अपनी सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट जैसे स्वच्छ भारत अभियान और सांसद आदर्श ग्राम योजना का खाका भी पेश किया।
बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों से कहा कि वे ऐसी बैठक हर तीन से चार महीने में आयोजित करेंगे, ताकि उन्हें सरकार के कामकाज का पूरा ब्यौरा मिल सके और वे अपनी बात सीधे सरकार और मंत्रियों तक पहुंचा सकें।
लेकिन इस पार्टी में शिवसेना के सांसद भी मौजूद थे। पीएम ने पार्टी के दौरान अपने भाषण में स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ की। मोदी ने कहा कि हमें गरीबों के हालात सुधारने की कोशिश करनी चाहिए। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जनधन योजना पर रिपोर्ट पेश की। बैठक का संचालन वेंकैया नायडू ने किया, जबकि आडवाणी ने भी सरकार के कामकाज की तारीफ की।
अगले महीने होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र से पहले प्रधानमंत्री की इस बैठक में सबसे खास नाराज चल रहे शिवसेना के सदस्यों का जुटना ही रहा। दिवाली के मौके पर बुलाई गई इस बैठक में शिवसेना के सदस्यों के आने से महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर बीजेपी और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली इस पार्टी के बीच सहयोग की उम्मीदें बढ़ती दिख रही हैं।
हालाँकि पहले ऐसी रिपोर्ट आ रही थी कि ठाकरे इस आयोजन में हिस्सा ले सकते हैं, लेकिन बाद में पार्टी ने स्पष्ट कर दिया कि प्रधानमंत्री ने एनडीए के सांसदों को आमंत्रित किया है, न कि पार्टी प्रमुखों को, इसलिए उद्धव इस मौके पर मौजूद नहीं होंगे। हुआ भी वही, उद्धव नहीं पहुंचे। बता दें कि शनिवार शाम को मुंबई में रिलायंस फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भी उद्धव बुलावे के बाद नहीं पहुंचे थे। वहीं बीजेपी ने भी अभी तक महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए अपनी पूर्व सहयोगी शिवसेना का समर्थन लेने के बारे में अपना रुख साफ नहीं किया है। सूत्रों का कहना है कि शिवसेना ने ऐसे संकेत दिए हैं कि वह भाजपा को बिना शर्त समर्थन देगी और सरकार में शामिल होगी।