जहां महाराष्ट्र में सूखे के कारण लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। कई इलाकों में जनता बिजली की परेशानियों से त्रस्त है, वहीं दूसरी ओर प्रशासन के द्वारा उनका माखौल उड़या जा रहा है। जिस कारण यहां की जनता सरकार पर गुस्साई हुई है। बिजली और पानी के समस्याओं से जूझ रहे लोगों पर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने माजाकिया टिप्पणी कर अपनी परेशानी बढ़ा ली है। उनके द्वारा दिये गए बयान को लेकर पूरे महाराष्ट्र में हो रही आलोचना और विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर पवार ने बाद में माफी मांग ली।
बिते दिनों अजीत पुणे जिले के इंदपुर तहसील के दूर के एक गांव में जनसभा को संबोंधित कर रहे थे। उन्होंने जनसभा में मुंबई के आजाद मैदान में एक सूखा पीडि़त किसान के अनशन करने का मजाक उड़ाया। पवार ने अनशनकारी किसान के संदर्भ में कहा कि वह पिछले 55 दिनों से अनशन पर है यदि डैम में पानी नहीं है तो हम किस तरह पानी छोड़ें? क्या हमें उसमें पेशाब करना चाहिए? यदि पीने के लिए पानी नहीं है तो पेशाब होना भी तो संभव नहीं है।
वहीं अभी उनकी एक बात लोगों को हजम नहीं हुई कि फिर एक और मजाक कर उन्होंने लोगों के गुस्से के और बढ़ा दिया। राज्य में बिजली कटौती पर मजाक में उन्होंने कहा, मैंने गौर किया है कि जब से रात में बत्तियां गुल हो रही हैं बच्चे अधिक पैदा हो रहे हैं। तब करने को और कोई काम नहीं रह जाता। शिव सेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और भाजपा नेता विनोद तावड़े ने पवार की इन टिप्पणियों की बहुत निंदा की है। दोनों नेताओं ने इसे राज्य की सूखाग्रस्त आबादी के साथ क्रूर और घटिया मजाक बताया है। नई दिल्ली में भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने इस टिप्पणी पर कहा कि उन्हें लगता हैं कि अंजीत पवार अपना संतुलन खो बैठे हैं। राकांपा प्रमुख को इस सच्चाई की ओर ध्यान देना चाहिए। क्योंकि इस तरह लोगों की गंभीर समस्या का मजाक उड़या जाना जनता की भावनाओं के साथ खेलने के समान है।