नई दिल्ली: ध्यान रहे अब उत्तर-पूर्व के लोगों का मजाक बनाने वाले शब्दों का प्रयोग करने वाले लोगों पर भारी पड़ सकता है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि सरकार भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) में संशोधन कर ऐसे मामलों में पांच साल तक की जेल का प्रावधान कर रही है।
दरअसल, उत्तर-पूर्व के लोगों को भेदभाव से बचाने के लिए बेजबरुआ समिति द्वारा सुझाए गए सभी उपाय केंद्र ने स्वीकार कर लिए हैं। इसमें कई दीर्घकालिक उपाय भी शामिल हैं। राजनाथ ने शुक्रवार को बताया कि उनकी सरकार बेजबरुआ समिति की सारी सिफारिशों पर छह महीने के अंदर अमल शुरू कर देगी।
आइपीसी में बदलाव के लिए सरकार जल्दी ही कानून बनाएगी। आइपीसी की धारा 153 में बदलाव कर उत्तर-पूर्व के लोगों की नस्ल, संस्कृति, शारीरिक बनावट आदि के बारे में बोल कर, लिख कर या संकेत में कोई अपमानजनक टिप्पणी करता है तो इसे आपराधिक कृत्य माना जाएगा।
भेदभाव को रोकने के दीर्घकालिक उपायों के तहत विश्वविद्यालय व स्कूली पाठ्यक्रमों में उत्तर-पूर्व की संस्कृति व विशेषताओं के बारे में जानकारी शामिल करने को कहा गया है। स्वतंत्रता संग्राम में इस क्षेत्र के लोगों के योगदान को स्कूली किताबों में शामिल करने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है। दिल्ली में विशेष तौर पर कई उपाय किए जा रहे हैं। यहां उत्तर-पूर्व के लोगों के लिए विशेष हेल्पलाइन नंबर 1093 को मुख्य हेल्पलाइन नंबर सौ के साथ सिंक्रोनाइज किया जा रहा है।
इसी तरह के कदम दूसरे राज्यों को भी उठाने को कहा गया है। इसी तरह दिल्ली राज्य विधि सेवा आयोग (डीएसएलएसए) में उत्तर-पूर्व के लोगों की जरूरतों का ध्यान रखने के लिए अलग से वकीलों की नियुक्ति की जा रही है। उत्तर-पूर्व के प्रत्येक राज्य से दस-दस महिला व पुरुष पुलिसकर्मी दिल्ली पुलिस में शामिल किए जाएंगे।