अजमेर : राजस्थान के अजमेर में बजरंग गढ चौराहे पर रखा पाकिस्तान का एक टेंक भारतीय सेनाओं की शौर्यता का प्रतीक है। इस टेंक के करण ही अजमेर के विजय स्मारक को देश प्रेमियों ने तीर्थ स्थान की तरह मानते हैं। इसकी खास बात यह है की अजमेर में इस टेंक के माध्यम से लोग पाकिस्तान को ना केवल धिक्कारते है बल्कि इस टेंक पर उलटे लगाये गये पाकिस्तान के झंडे को जूते मार कर पाकिस्तान के खिलाफ अपने रोष का इजहार भी करते है। यह अघोषित परम्परा दशको से यु ही चलती आ रही है।
यहाँ का यह विजय स्मारक भारतीयों के सर को गर्व से उंचा करता है। भारतीय सेनाओं के शौर्य और वीरता की कहानी कहता यह विजय स्मारक 1972 के भारत पाकिस्तान युद्घ के बाद स्थापित किया गया था इसी स्मारक पर रखा गया है यह टेंक। इस टेंक को 1972 के भारत पाक युद्घ में पाकिस्तानी सेना पर विजय प्राप्त करने से पूर्व ध्वस्त किया गया था। बाद में स्थानीय लोगो की मांग पर इसे अजमेर के विजय स्मारक पर स्थापित किया गया। भारतीय सेना के गौरव गाथा गाता यह विजय स्मारक उस शहीदों को भी नमन करता है जिन्होंने इस युद्घ में अपने प्राणों की आहुति दी थी। यहा राजस्थान के उन तमाम शहीदों के नाम लिखे गये है जो इस युद्घ में शहीद हुए थे।
विजय स्मारक पर रखे गये टेंक को लेकर अजमेर में एक अघोषित परम्परा भी है। देश भर से अजमेर आने वाले लोग बजरंग गढ चौराहे पर भी आते है। यहा लगे भारतीय सेना के तीनो अंगो के स्मारक पर शहीद जवानो को श्रद्घांजली देने की परम्परा है बाद में पाकिस्तानी टेंक पर लगे पाकिस्तान के उलटे झंडे को जूते मारने की परम्परा है।
इस टेंक पर पाकिस्तान के झंडे को उल्टा लगाये जाने के पीछे भी सेनाओं से जुडी परम्पराए है बहुत कम लोगो को इस बात की जानकारी है की जब भी किसी युद्घ में किसी देश की सेना हारती है तो उस देश के झंडे को उल्टा फैहरा कर उसे अपमानित किया जाता है। यह हारे हुए देश का मान मर्दन करने के लिए किया जाता है और यही वजह है की अजमेर में भी पाकिस्तान से जीत कर लाये गये टेंक पर पाकिस्तान का झंडा उलटा लगाया गया है।
भारत पाकिस्तान के सम्बन्धो में उडी हमले के बाद आई कडवाहट के बाद हालात युद्घ जैसे बनने लगे है। लोग इस समय 972 के युद्घ को याद करते हुए एक बार फिर यही चाहते है की भारतीय सेना पाकिस्तान को उसी की धरती पर रोंद कर आये। एक बार फिर भारतीय सेना पाकिस्तानी टेंको पर कब्जा करे और उन टेंको को देश भर के शहरो में चौराहे पर लगाया जाए ताकि देश की जनता इनसे गौरव की अनुभूति कर सके।