नई दिल्ली : शिक्षा और ज्ञान का मंदिर कहे जाने वाले यूनिवर्सिटी में जब यौन उत्पीड़न मामला जैसी ख़बरें सामने आती है तो आप भी सोचने पर मजबूर हो जाते हाँ कि आखिर ये संसार किस और जा रहा है जी हाँ ऑस्ट्रेलियन मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के जरिए एक बहुत ही चौकाने वाला सच सामने आया है, शायद जिस पर आप भी एक बार सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि शिक्षा के मंदिर में अगर ये हालात हैं दो और जगहों कि क्या बात करें! यहाँ मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट माने तो पिछले साल देश की आधी यूनिवर्सिटी में यौन उत्पीड़न के मामले सामने आए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2015-16 में देशभर के 7% से अधिक छात्रों का यौन उत्पीड़न किया गया है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक छात्रों की अपेक्षा छात्राओं के साथ यौन उत्पीड़न की ज्यादा घटनाएं सामने आई हैं।
यौन उत्पीड़न को लेकर बनाए गए कमीशन की केट जेनकिंस ने कहा कि रिपोर्ट यूनिवर्सिटी को छात्रों के बिगड़े लाइफ-स्टाइल को दर्शाती है। यूनिवर्सिटी में यौन उत्पीड़न, हमले छात्रों की साधारण जिंदगी की हिस्सा बन गए हैं, सामाजिक जीवन में भी यह एकदम साधारण बन गया है। लेकिन इस तरह छात्रों का करियर, पढ़ाई और उनकी हेल्थ इससे प्रभावित हो रही है।
39 यूनिवर्सिटी के 31,000 छात्रों पर किए अध्ययन में यह सामने आया कि छात्रों को डिग्रियां देने में भी यौन उत्पीड़न किया जाता है। केट जेनकिंस का कहना है कि 5 में से 1 छात्र का यौन उत्पीड़न किया जाता है, ना सिर्फ यूनिवर्सिटी में बल्कि उनकी सामाजिक जीवन में और जहां वे रहते हैं वहां भी उनका यौन उत्पीड़न होता है ।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 45% छात्राओं का यौन उत्पीड़न किया गया है और समलैंगिक छात्रों के साथ ऐसी वारदातें ज्यादा होती हैं ।
क्वीनसलैंड यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर पेटर होज का कहना है कि यह बहुत ही ज्यादा चिंताजनक बात है, इस पर कमेटी बनाकर जांच होनी चाहिए। इससे छात्रों का भविष्य बर्बाद हो रहा है। उनका कहना है कि उनकी यूनिवर्सिटी में इस तरह की चीजे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं की जाती हैं । उनका कहना है इसे रोकने के लिए यूनिवर्सिटी को सख्त कदम उठाने की जरूरत है।