पटना : बिहार में दहेज को जड़ से खत्म करने के लिए सीएम नीतीश कुमार ने सराहनीय कदम उठाया खुद उसकी ब्रांडिंग कर रहे हैं। बगैर दहेज की शादियों में बुके लेकर वे खुद ऐसे जोड़ों से मिलने जा रहे हैं। ऐसे जोड़ों को आशीर्वाद देने खुद मुख्यमंत्री उनके घर बुके के साथ पहुंच रहे हैं। उनकी कोशिश यह है कि समाज में ऐसी शादियां स्टेट्स सिंबल के रूप में जानी जाएं।
विधायकों को भी परामर्श
विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान बड़ी संख्या में विधायकों और एक-दो मंत्रियों ने भी मुख्यमंत्री को अपने परिजन की शादी में आने का आमंत्रण दिया। सभी ने कार्ड देते ही कहा कि शादी बगैर दहेज वाली है। इसके मूल में यह है कि मुख्यमंत्री पहले ही यह ऐलान कर चुके हैं कि दहेज वाली शादी में वह नहीं जाएंगे और लोगों को भी ऐसी शादी में जाने से परहेज करना चाहिए।
कार्ड देने आए लोगों को मुख्यमंत्री ने यह परामर्श भी दिया कि यह लिखने का चलन शुरू होना चाहिए कि यह शादी बगैर दहेज वाली है। मुख्यमंत्री कहते हैं कि कम से कम लोगों ने यह कहना तो शुरू किया है कि हमने दहेज नहीं लिया है। आगे से यह और बढ़ेगा।
CM ने दिखाया ब्रांडिंग का यह अनोखा अंदाज
बिना दहेज़ वाली शादियों की ब्रांडिंग का अंदाज भी बड़ा अनोखा है। आरा के एक शिक्षक हरींद्र सिंह ने बिहार में शुरू हुए दहेज विरोधी अभियान से प्रेरित होकर बेटे के दहेज में ली गयी राशि लौटा दी। मुख्यमंत्री को जब इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने हरींद्र सिंह से फोन पर बात की और बधाई दी। उन्हें मुख्यमंत्री आवास बुलाया और तारीफ की।
इसी तरह भोजपुर के तरारी के एक जोड़े प्रकाश और पूजा की बगैर दहेज की शादी पर उन्हें भी मुख्यमंत्री आवास बुलाकर उनका सम्मान किया। पिछले महीने मुख्यमंत्री देर शाम बाईपास के इलाके में एक इंजीनियर के घर पहुंचे। इंजीनियर ने बगैर दहेज की शादी की। मुख्यमंत्री ने बुके देकर जोड़े का स्वागत किया।
बता दें कि लड़कियों में भी दहेज मुक्त शादी को लेकर बड़े स्तर पर जागरूकता देखी जा रही है। लड़कियां खुद इसके विरोध में सामने आकर विरोध कर रही हैं। इस मुद्दे पर बात करते हुए पटना स्थित कुर्जी की शालिनी झा ने जिन्होंने पटना के मगध महिला कॉलेज से मनोविज्ञान में स्नातकोत्तर किया है। वह कहती है कि हमें संजीदा पति चाहिए, खरीदा हुआ नहीं।