नई दिल्ली : देश के सबसे बड़े बैंकिंग फ्रॉड के उजागर होने के बाद से ही हीरा कारोबारी नीरव मोदी की खूब चर्चा हो रही है। दरअसल, नीरव मोदी इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड है और वह 11 हजार करोड़ से ज्यादा की लूट के बाद विदेश फरार हो चुका है।
बता दें कि नीरव मोदी और मेहुल चौकसी की कंपनियों के खिलाफ संदेहास्पद लेन-देन का एलर्ट जारी होता रहा और एजेंसियां सोती रही। किसी ने फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट (एफआइयू) की इन रिपोर्टों पर ध्यान ही नहीं दिया। यदि इन रिपोर्टों पर ध्यान देकर जांच की जाती तो घोटाले को पहले ही रोका जा सकता था। एफआइयू की रिपोर्टों पर कार्रवाई नहीं होना साफ संकेत है कि केवल बैंक प्रबंधन ही नहीं, बल्कि आयकर विभाग भी संदेह से परे नहीं है।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार पिछले दो तीन सालों में एफआइयू ने नीरव मोदी और मेहुल चौकसी की कंपनियों में संदेहास्पद लेन-देन के कई रिपोर्ट भेजी थी। एफआइयू अपनी ये रिपोर्ट आयकर विभाग और ईडी जैसी जांच एजेंसियों को भेजती है। लेकिन एफआइयू की इन रिपोर्टों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। कुछ रिपोर्ट के आधार पर बैंकों से लेन-देन की विस्तृत रिपोर्ट मंगाई गई, लेकिन किसी तरह की कार्रवाई की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। एफआइयू के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उनका काम सिर्फ संदेहास्पद लेन-देन की सूचना जांच एजेंसियों के पास भेज देने की है। कार्रवाई करने का उनके पास न तो कोई तंत्र है और न ही अधिकार।
वहीं आयकर विभाग के अधिकारी एफआइयू की संदेहास्पद लेन-देन की रिपोर्ट पर ही सवालिया निशान लगा रहे हैं। आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एफआइयू हर दिन संदेहास्पद लेन-देन की हजारों रिपोर्ट आती हैं। इनमें से 99.9 फीसदी मामलों में जांच में कुछ नहीं निकलता है। यही कारण है कि एफआइयू की रिपोर्ट को कोई भी जांच एजेंसी गंभीरता से नहीं लेती है। दरअसल, एफआइयू भी संदेहास्पद लेन-देन पर खुद भी नजर नहीं रखता है। रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के पालन और खुद को पाक-साफ दिखाने के चक्कर में बैंक बड़ी संख्या में संदेहास्पद लेन-देन रिपोर्ट एफआइयू को भेज देते हैं और एफआइयू उन्हें जांच एजेंसियों को आगे बढ़ा देता है। इस तरह बैंकिंग प्रणाली में लेन-देन पर नजर रखने के लिए बनाई पूरी प्रणाली दिखाने का दांत साबित हो रहा है।
आपको बता दें कि भारत के लिए इस तरह का यह पहला मामला है। लेकिन दुनिया इतिहास में नीरव मोदी की तरह के कई किस्से पड़े हैं। इन कारोबारियों ने चूना भी ऐसा लगाया कि बैंक को दीवालिया होने की नौबत आ गई।