नई दिल्ली : कोरोना के ग्रसित एक व्यक्ति एक दिन में चार लोगों तक इसे फैला सकता है। ICMR ने गणितीय मॉडलिंग के आधार पर भारत में कोरोना के कहर का शुरूआती अनुमान जारी किया है। आइसीएमआर के अनुसार कोरोना का कहर कितने दिनों में थमेगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि हम लोगों को अलग-थलग रखने में कितना सफल हो पाते हैं। इसमें 22 दिन से लेकर कई महीने तक लग सकते हैं। वैसे यह अनुमान फरवरी के अंत तक के आंकड़े और संभावनाओं पर आधारित हैं, जबकि असल में मार्च में कोरोना के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
आइएमसीआर के डाक्टर रमन गंगाखेड़कर के अनुसार गणितीय मॉडलिंग में एक चीज पर ध्यान दिया है कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए कौन सा तरीका सबसे बेहतर होगा। उनके अनुसार एयरपोर्ट पर थर्मल स्क्रीनिंग से कोरोना के कहर को पूरी तरह नहीं रोका जा सकता है और इसे केवल तीन दिन से तीन हफ्ते तक ही टाल सकता है। यानी इसके बाद कोरोना का महामारी के रूप में फैलना निश्चित है।
गणितीय मॉडलिंग में यह भी बताया गया है कि इससे रोकने का सबसे कारगर तरीका लोगों को दूर-दूर करना है। इससे इसमें 62 प्रतिशत सबसे ज्यादा कमी आ सकती है। डाक्टर गंगाखेड़कर के अनुसार पूरे देश में लॉकडाउन लोगों को दूर-दूर करने के लिए ही है। लॉकडाउन से लोग लोग घरों से बाहर नहीं निकलेंगे और दूर रहेंगे। आइसीएमआर की गणितीय मॉडलिंग के अनुसार यदि लॉकडाउन को पूरी तरह से पालन किया गया तो इससे ग्रसित नए मरीजों की संख्या को एक दिन में 1000 की जगह 110 तक लाया जा सकता है।
गणितीय मॉडलिंग में कमियों को स्वीकार करते हुए आइसीएमआर ने खुद कहा है कि फरवरी तक कोरोना के वायरस से मरीजों की संख्या न के बराबर होने के कारण उसका अनुमान दूसरे देशों में कोरोना के फैलाव और भारत में संचारी रोगों के फैलने के पुराने अनुभवों पर आधारित है। यही नहीं, गणितीय आंकलन में केवल चार महानगरों को दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरू को शामिल किया गया है। जो भारत की कुल आबादी का महज सात फीसदी है।
आइसीएमआर के अनुसार कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद वह और अधिक आबादी के आंकड़ों को शामिल कर बेहतर अनुमान लगाने की कोशिश करेगा। आइसीएमआर का अनुमान है कि सबसे खराब स्थिति में भी भारत में कोरोना का एक मरीज हर दिन औसतन चार मरीजों को वायरस से ग्रसित कर सकता है। वहीं बेहतर स्थिति में भी वह औसतन डेढ़ व्यक्ति को तो ग्रसित करेगा।