इंदौर, मध्यप्रदेश: अगर हम बेटियों की बात करें तो आज जहां एक तरफ कुछ बेटियां प्रगति हर क्षेत्र में अपनी भूमिका निभाकर अपनी पहचान बना रही हैं। तो वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसी बेटियां भी है जो आसमान तक पहुंचना तो दूर की बात है, उन्हें जमीन पर आने से पहले ही मार दिया जाता है और अगर वह गलती से धरती पर आ भी जाती हैं तो उन्हें समाज का एक तबका ऐसा महसूस करवाता है जैसे वह इस धरती पर बोझ बनकर रह रही है। क्या बेटी होना ही सबसे बड़ा गुनाह है। एक माँ इतनी बेदर्द कैसे हो सकती है। जो अपने कलेजे के टुकड़े को इधर-उधर मरने को फैंक दे।
मम्मी बहुत बुरी है, वो मारती है। मुझे घर नहीं जाना, कितनी बार बोलूं कि मम्मी ने ही मुझे ट्रेन से धक्का दिया था। यह बात एमवाय अस्पताल में भर्ती सात साल की बच्ची ने कही।
यह बच्ची गुरुवार को इंदौर-देवास रोड पर रेलवे पटरी पर जख्मी हालत में मिली थी। उसके सिर में गंभीर चोट थी। पीठ और चेहरे पर मारपीट के घाव थे। चाइल्ड लाइन ने बच्ची को एमवाय अस्पताल में भर्ती कराया था। तीन दिन बाद बच्ची की स्थिति में थोड़ा सुधार आया है।
उसे सर्जरी वार्ड से मेडिसिन में शिफ्ट किया जा रहा है। चाइल्ड लाइन की टीम 24 घंटे उसके साथ रह रही है। वह लगातार काउंसिलिंग कर रही है, ताकि वह परिवार के बारे में कुछ जानकारी दे सके। उससे रोज पूछा जाता है कि तुम्हें किसने मारा था।
रविवार को उसने झल्लाकर कहा कि मम्मी मारती है। उन्होंने मारकर ट्रेन से गिरा दिया था। यह सुनकर टीम भी आश्चर्यचकित रह गई। साथ ही बच्ची टीम के सदस्यों के साथ घुल मिल गई है। उनसे खाने-पीने की चीज और घूमने-फिरने की जिद करने लगी है। वह घर जाने से मना करती है।
हालांकि बच्ची की हालत ठीक है। वह अपने बारे में ज्यादा कुछ जानकारी नहीं दे रही है। आसपास के जिलों में बच्ची के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं।