विशन देवी एक ऐसा नाम है जो अपनी ज़िन्दगी में 21 वर्षो तक उन वारिष्ट नागरिकों के हक और सुरक्षा कि लड़ाई लड़ती रही जो दिल्ली जैसे बड़े शहरों में अकेले रहते हैं। प्रॉपर्टी की लालच में इनकी आपनी ही औलादें और प्रॉपर्टी बिल्डर्स हमेशा इन पर घात लगाये बैठे रहते हैं. और फिर एक ऐसा वक़्त भी आया जब वारिष्ट नागरिकों कि सुरक्षा के लिए लड़ने वाली समाजसेवी और शसक्त महिला की हत्या कर दी गई। जानिए क्या है पूरा मामला :-
कौन थी विशन देवी:
ओल्ड राजेन्द्र नगर, नई दिल्ली में रहने वाली एक महिला विशन देवी जिन्हें भूतपूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु अपनी बेटी की तरह मानते थे। नेहरु जी को अपने हाथो से खाना बनाकर कर खिलाया करती थी ये महिला। विशन देवी जो कि अब इस दुनिया में नहीं है एक साहसी महिला थी। वो वरिष्ठ नागरिको के हक़ के लिए लड़ती थी। विशन देवी ने आवाज़ उठाई उन माता –पिता और वारिष्ट नागरिकों के लिए जो अपनी औलादों से दूर रहने के लिए मजबूर होते हैं। जब उनकी अपनी ही औलाद उन्हें अपने से अलग रखना चाहती है. उनके अपने ही उन्हें अकेले उनका बुढ़ापा गुजारने के लिए मजबूर कर देते है उन्हें अकेले किसी कोने में पड़े रहने के लिए छोड़ देते है … ऐसे ही लोगों के हित के लिए 21 वर्षों तक लड़ने वाली महिला थी विशन देवी जो खुद ही अपनों और शहर के बिल्डर्स और प्रशासन की लापरवाही का शिकार हो गई और 88 वर्ष की आयु में इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। उनकी अपनी ही औलाद कुछ बिल्डर्स के साथ मिलकर प्रॉपर्टी की लालच में उन्हें मौत की नींद सुलाना चाहती थी।
प्रशासन की अनदेखी और लापरवाही ने ली विशन देवी की जान:
बिल्डर्स और अपनों की मिली भगत से अपनी जान को खतरा होने पर जब विशन देवी ने पुलिस और प्रशासन से सुरक्षा की गुहार लगाई तो वहां से भी उनको निराशा ही हाथ लगी। एक रिपोर्ट के मुताबिक 16 दिसंबर 2014 को अपनी जान को खतरा बताते हुए दिल्ली पुलिस से सुरक्षा की गुहार लगाई। सिर्फ इतना ही नहीं ये बात होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह तक भी पहुंची और उन्होंने ने भी विशन देवी को सुरक्षा देने की बात को सुनिश्चित किया। बावजूद इसके विशन देवी को प्रशाशन और दिल्ली पुलिस ने कोई सुरक्षा नहीं दी जिसके कारण मात्र 22 दिन के अन्दर 8 जनवरी 2015 विशन देवी अपने जान से हाथ धो बैठी।
कैसे हुई विशन देवी की मौत:
आपको बता दें कि विशन देवी की मौत कोई साधारण मौत नहीं थी कई बार आपनो और बिल्डर्स के हमलों का शिकार हुई थी विशन देवी। कभी उनको मारने के लिए ज़हर देने कि कोशिश की जाति थी तो कभी उनके आवास में आग लगा दिया गया था तो कभी अकेला पाकर उनपर हमले करवाये जाते थे… विशन देवी के सबसे छोटे बेटे सुरेन्द्र काठपाल जो उनकी सुरक्षा को लेकर हमेशा फिक्रमंद रहते थे। उन्होंने अपनी माता जी की सुरक्षा की लिए 7 कुत्ते उनके साथ रखे थे ताकि ये कुत्ते विशन देवी को उनपर होने वाले हमलों से बचा सके। इसके बावजूद उनकी जान के दुश्मनों ने उनकी सुरक्षा में तैनात कुत्तों को भी मिठाई में ज़हर देकर मार डाला और इसके बाद एक दिन की बात है जब विशन देवी को भी हत्यारों ने उनकी हत्या कर दी और उनकी लाश उनके कमरे में पड़ी मिली।
आपको बता दें कि हत्या को 3 वर्ष हो गये लेकिन अभी तक न ही इस हत्या पर कोई शख्त कारवाही हुई और न ही विशन देवी का का पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट सामने आया।
इस घटना से ये साबित होता है कि एक समाजसेवी और सशक्त महिला के साथ जब ऐसा हो रहा है तो आम जनता के साथ देश की पुलिस और प्रशासन क्या करती होगी।
इस पूरी घटना ने न केवल मानवजाति को शर्मशार किया है बल्कि देश के उन वारिष्ट नागरिको की सुरक्षा पर बड़े सवाल खड़े करता है जो कि शेहरों में अकेले रहते है। उन बिल्डर्स पर सवाल खड़े करता है जो ऐसे अकेले रह रहे बड़े वारिष्ट नागरिको की हत्या करवा कर प्रॉपर्टी पर कब्ज़ा करना चाहते हैं। सवाल खड़े करता है उन औलादों पर जो दौलत के लिए अपने ही माता-पिता के जान के दुश्मन बन जाते हैं ….सवाल खड़े करता है हमारी सुरक्षा में तैनात रहने वाली पुलिस पर और देश के लडखडाते प्रशासन पर। क्या हमारे वारिष्ट नागरिक सुरक्षित है अपने ही देश में अपनों के बीच? यहाँ सवाल कई हैं लेकिन जवाब में सिर्फ प्रशासन की लापरवाही ही सामने आती है।