नई दिल्ली : शादी का पंडाल.. फूलों की सजावट की जगह बड़े-बड़े बैनर.. हर बैनर पर दहेज, नशा, कन्या भ्रूण हत्या और खाने की बर्बादी के खिलाफ अलग-अलग स्लोगन.. लड़का और लड़की दोनों पक्षों के मेहमानों के लिए नशा मुक्ति की दवा और शादी कराने वाले पंडित की जगह लड़की की बड़ी बहन। ये अनोखी शादी मंगलवार को राजस्थान के सीकर में हुई। दो बेटियों के पिता धर्मपाल सिंह की छोटी बेटी विमलेश की शादी थी। लड़का और लड़की दोनों बीटेक तक पढ़े हैं। स्कूल में पीटी टीचर धर्मपाल ने सगाई के पहले ही लड़के वालों के साथ तय कर लिया था कि वो दहेज नहीं देंगे।
इसके अलावा उन्होंने तय किया कि शादी में लड़के पक्ष की ओर से कोई शराब पी कर नहीं आएगा। लड़के वालों ने हामी भी भर दी थी, लेकिन गायत्री परिवार से जुड़े धर्मपाल को पूरे समाज के लिए मिसाल पेश करनी थी। इसलिए उन्होंने शादी की पूरी व्यवस्था किसी अवेयरनेस कैंपेन की तरह की थी। शादी के कार्ड पर लिखा था, ‘नशा करने वालों को निमंत्रण नहीं।’ पंडाल के तोरण द्वार पर लिखा था, ‘नशा करने वालों का प्रवेश वर्जित है।’
वरमाला के स्टेज पर एक बैनर लगा था। जिस पर लिखा था, जो पिता दहेज लेता है, वो पिता नहीं विक्रेता है। खाने के स्टॉल्स के पास बड़े बैनर पर लिखा था, जूठा नहीं छोड़ें। जितना खाएं उतना ही प्लेट में लें, क्योंकि देश में कई लोग हर रोज भूखे सोते हैं। यहां बचा हुआ खाना किसी भूखे का निवाला बन सकता है।
इसके साथ सभी मेहमानों को नेग में पैसे या कीमती गिफ्ट्स की बजाए गायत्री परिवार की छोटी-छोटी 11 किताबें दी गईं। हर किताब किसी सामाजिक बुराई को खत्म करने की प्रेरणा देती है। किताबों की बाकायदा एक स्टॉल लगाई गई थी। जहां बड़ा सा बैनर लगाकर लिखा था- दहेज का सामान। करीब एक लाख रुपए कीमत की किताबें बांटी गईं। शादी करवाने के लिए पंडित नहीं थे। विमलेश की बड़ी बहन ने ही शादी करवाई।
उसकी शादी में भी विमलेश ने फेरे और सारी रस्में करवाई थी। धर्मपाल सिंह ने बताया कि 21 मई 1990 को उनकी शादी हुई थी। तब भी उन्होंने दहेज नहीं लिया था। अपने माता-पिता को भी इसके लिए मना कर दिया था।पंडाल के दरवाजे पर एक स्वागत स्टॉल लगाई गई थी। शादी में आने वाले सभी मेहमानों को नशा छोड़ने की दवा दी गई। दवा लेने के बाद ही उन्हें पंडाल के अंदर जाने दिया गया। गायत्री शक्ति पीठ के विजेंद्र सिंह ने बताया कि ये दवाएं आयुर्वेदिक और होम्योपैथ की थीं। इनके उपयोग से नशा छोड़ा जा सकता है।