नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को पैन कार्ड से जोड़ने वाले केंद्र सरकार के फैसले पर फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने आधार और पैन को जोड़ने वाले फैसलो को सही ठहाराया लेकिन इसको जरूरी मानने से इंकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों पर आधार कार्ड नहीं है या फिर जिन्होंने अबतक वह नहीं बनवाया है उनके लिए यह फिलहाल जरूरी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने एक स्कीम बनाने के लिए भी कहा जिसके जरिए निजी डाटा लीक ना होने की बात सुनिश्चित की जा सके। केंद्र सरकार ने इनकम टैक्स एक्ट में बदलाव करके आधार नंबर को परमानेंट एकाउंट नंबर (पैन कार्ड) से जोड़ना जरूरी कर दिया था।
केंद्र सरकार की तरफ से अपने फैसले के बचाव में कहा गया था कि आजकल कोई भी आसानी से पैन कार्ड बनवा सकता है। रोहतगी ने कहा था कि कोई शख्स एक से ज्यादा पैन कार्ड भी बनवा लेता है। सरकार की तरफ से कहा गया था कि उनके फैसले से फर्जी वित्तीय खाता धारकों को पकड़ा जा सकेगा।
न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की खंडपीठ ने चार मई को इस मामले की सुनवाई करते हुए फैसले को सुरक्षित रखा था। सरकार ने आयकर अधिनियम में नई धारा 139 एए को शामिल किया था। याचिकाकर्ता ने खंडपीठ को बताया था कि आधार को पैन कार्ड से जोड़ने के खतरनाक नतीजे होंगे। ‘यह न सिर्फ लोगों को प्रभावित करेगा, बल्कि छोटे व्यापारी भी इससे प्रभावित होंगे।’
इस मामले में याचिकाकर्ता भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता विनय विसमन थे। उनकी तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविन्द दातार खंडपीठ के समक्ष पेश हुए थे। उन्होंने खंडपीठ से कहा था कि सरकार आधार को अनिवार्य बनाने के एजेंडे पर काम कर रही है।