आरुषि हेमराज हत्याकांड मामले में तलवार दंपति को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। उन्हें धारा 201 के तहत (सबूत मिटाने) 5-5 साल की सजा और धारा 203 (जांच भटकाने के लिए) के तहत एक साल की सजा भी सुनाई गई है।
राजेश तलवार और नूपुर तलवार पर अदालत ने 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत से सजा के बारे में जानकारी मिलने पर तलवार दंपति के चेहरे पर पछतावे का भाव देखा गया।
गौरतलब है कि, इससे पहले अदालत ने सोमवार को नूपुर और राजेश तलवार को बेटी आरुषि और हेमराज के कत्ल के लिए दोषी ठहराया था।इससे पूर्व आज सीबीआई ने तलवार दंपति के लिए फांसी की सजा की मांग की थी। उधर, डासना जेल में बंद नूपुर तलवार की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। वहां उनका ब्लड प्रेशर बढ़ गया था। वह आराम करने के बाद कोर्ट पहुंची थीं।
अदालत के सजा सुनाये जाने से पहले दोपहर 2:10 पर सजा पर बहस की गई। इस दौरान सीबीआई के वकील आरके सैनी ने कहा कि यह मामला रेयरस्ट ऑफ द रेयर की श्रेणी में आता है, क्योंकि मई 2008 में आरुषि और नौकर हेमराज तलवार दंपति के नोएडा स्थित घर में मृत पाए गए थे और उनके गले रेते हुए थे, इसलिए राजेश और नूपुर तलवार को सजा-ए-मौत मिलनी चाहिए।
वहीं, बचाव पक्ष के वकील ने यह कहते हुए तलवार दंपति के लिए रहम की अपील की कि उनके मुवक्किलों का कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है। उन्होंकने कहा कि केस की सुनवाई के दौरान जो भी बातें कहीं गईं हैं वो सिर्फ कहानी भी हो सकती है क्योंकि इस केस में कोई गवाह नहीं है। वारदात की रात जो कुछ भी वह क्षणिक आवेश का नतीजा था इसलिए इस केस को रेयरस्टव ऑफ द रेयर नहीं माना जा सकता।
अदालत का फैसला आने के बाद तलवार दंपति रो पड़े। हालांकि तलवार दंपति ने खुद को बेगुनाह बताया, और न्याय के लिए लड़ाई जारी रखने की बात कही। मामले में सजा मंगलवार को सुनाई जाएगी। अदालत का फैसला आने के थोड़ी ही देर बाद तलवार दंपति को पुलिस गाजियाबाद के डासना जेल ले गई। जेल के एक अधिकारी ने बताया कि उन्हें जेल के एक अलग हिस्से में विशेष बैरकों में रखा गया है।
डासना जेल के अधीक्षक वीरेश राज शर्मा ने बताया, “तलवार दंपति को जेल के पृथक हिस्से में विशेष कारागार में रखा गया है। जेल का यह हिस्सा अन्य कैदियों की पहुंच से दूर है। सुरक्षा कारणों से उन्हें अन्य कैदियों से कुछ दिन के लिए अलग रखा गया है। तलवार दंपति को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), 34 (कई लोगों द्वारा एक ही मंशा से किया गया अपराध) और 201 (साक्ष्य नष्ट करना) के तहत दोषी ठहराया गया है। राजेश तलवार को आईपीसी की धारा 203 (जांच को गुमराह करने) का भी दोषी पाया गया है।