राजेश और नूपुर तलवार को जिन धाराओं में दोषी पाया गया है, वे क्या कहती हैं : धारा 302 – हत्या करना, धारा 203 – किसी अपराध के बारे में गलत सूचनाएं देना (गलत एफआईार दर्ज कराना), धारा 201 – सबूतों से छेड़छाड़ करना, 34 – जब कोई अपराध एक से ज्यादा व्यक्तियों द्वारा अंजाम दिया जाए और उनका मकसद एक हो। ऐसे मामले में सिर्फ अपराध को अपने हाथों से अंजाम देने वाला ही नहीं, बल्कि सभी बराबर के दोषी होंगे।
कोर्ट का फैसला सुनते ही राजेश और नूपुर तलवार रो पड़े। यही नहीं कोर्ट में मौजूद उनके परिवार वालों की आंखों से भी आंसू छलक आए. फैसले के बाद दोनों दोषियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उन्हें डासना जेल ले जाने की तैयारी की जा रही है। फैसले के बाद राजेश और नूपुर तलवार की ओर से मीडिया में एक बयान जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि वे फैसले से नाखुश हैं। बयान के मुताबिक, ‘हम फैसले से बहुत दुखी हैं। हमने जुर्म नहीं किया. हम हार नहीं मानेंगे और न्याएय के लिए लड़ाई जारी रखेंगे.’ उधर, बचाव पक्ष के वकील ने इस फैसले को गलत माना है। उन्होंाने कहा कि ये गैरकानूनी है।
गौरतलब है कि, 15 मई 2008 को नोएडा के जलवायु विहार में आरुषि और हेमराज की हत्या कर दी गई थी। हत्या का आरोप आरुषि के माता-पिता राजेश तलवार और नूपुर तलवार पर लगा था। सीबीआई ने कोर्ट को दलील दी थी कि 15−16 मई की रात राजेश तलवार ने हेमराज और आरुषि को आपत्तिजनक हालत में देखा था, जिसके चलते राजेश ने दोनों की हत्या कर दी थी।
31 मई, 2008 को यह मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया.तलवार दंपत्ति के खिलाफ 25 मई, 2012 को मामला दर्ज किया गया था, और इसके बाद सुनवाई शुरू हुई थी। दोनों के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं होने की वजह से सीबीआई का मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है।
किसी अन्य के इसमें शामिल होने के सबूत न मिलने पर सीबीआई ने तलवार दंपत्ति को हत्यारा माना है। सीबीआई के अनुसार घटना के दौरान मकान संख्या एल-32 में सिर्फ चार लोग ही मौजूद थे, जिसमें दो की हत्या हो गई थी। सीबीआई वकील आरके सैनी ने यह कहा है कि घटना के दौरान किसी अन्य बाहरी व्यक्ति के सबूत नहीं मिले हैं, आरुषि के शव के साथ छेड़छाड़ की गई थी और हेमराज के शव को छत पर छुपा दिया गया था।