आचार्य चाणक्य ने महाराज चंद्रगुप्त को अखंड़ भारत का सम्राट बनने में सहायता करने बाद विशाल साम्राज्य की प्रजा के लिए एक नीतिशास्त्र की रचना की थी जिसे आज ‘चाणक्य नीति’ के नाम से जाना जाता है। भले ही ‘चाणक्य नीति’ आज से 2300 साल पहले लिखी गई पर आज भी इसमें बताई गई ज्यादातर बातें उतनी ही सही बैठती है जितनी कि आज से 2300 साल पहले थी।
आइए जानते है चाणक्य नीति के कुछ अनमोल विचार जो किसी की भी जिंदगी बदलने की समता रखते हैं-
लक्ष्य को प्राप्त करने और मेहनत करने संबंधी आचार्य चाणक्य के विचार
1. मन में सोंचे हुए काम को किसी के सामने जाहिर नही करना चाहिए बल्कि उस काम को अपने मन में रखते हुए पूरा कर देना चाहिए।
2. जो व्यक्ति आर्थिक व्यवहार करने में, ज्ञान अर्जन करने में, खाने में और काम-धंदा करने में शर्माता नहीं है वो सुखी हो जाता है।
3. हम अपना हर कदम फूक फूक कर रखे. हम वही काम करे जिसके बारे हम सावधानीपुर्वक सोच चुके है.
4. जो भविष्य के लिए तैयार है और जो किसी भी परिस्थिति को चतुराई से निपटता है वो सुखी रहता है।
5. नसीब के सहारे चलने वाले लोग जल्दी बर्बाद हो जाते है।
6. जिस के काम करने में कोई व्यवस्था नहीं, उसे कोई सुख नहीं मिल सकता।
7. वह चीज जो दूर दिखाई देती है, जो असंभव दिखाई देती है, जो हमारी पहुच से बहार दिखाई देती है, वह भी आसानी से हासिल हो सकती है यदि हम मेहनत करते है, क्योंकि मेहनत से बढ़कर कुछ नहीं।
आचार्य चाण्कय के अनुसार इन जानवरों से क्या सीखें
8. आचार्य चाणक्य के अनुसार शेर से 1 बात सीखे, बगुले से 1, मुर्गे से 4, कौवे से 5, कुत्ते से 4 और गधे से 3:
1. शेर से यह बढ़िया बात सीखे की आप जो भी करना चाहते हो एकदिली से और जबरदस्त प्रयास से करे
2. बुद्धिमान व्यक्ति अपने इन्द्रियों को बगुले की तरह वश में करते हुए अपने लक्ष्य को जगह, समय और योग्यता का पूरा ध्यान रखते हुए पूर्ण करे.
3. मुर्गे से हे चार बाते सीखे… 1. सही समय पर उठे. 2. नीडर बने और लड़े. 3. संपत्ति का रिश्तेदारों से उचित बटवारा करे. 4. अपने कष्ट से अपना रोजगार प्राप्त करे.
4. कौवे से ये पाच बाते सीखे… 1. अपनी पत्नी के साथ एकांत में प्रणय करे. 2. नीडरता 3. उपयोगी वस्तुओ का संचय करे. 4. सभी ओर दृष्टी घुमाये. 5. दुसरो पर आसानी से विश्वास ना करे.
5. कुत्ते से ये बाते सीखे 1. बहुत भूख हो पर खाने को कुछ ना मिले या कम मिले तो भी संतोष करे. 2. गाढ़ी नींद में हो तो भी क्षण में उठ जाए. 3. अपने स्वामी के प्रति बेहिचक इमानदारी रखे 4. नीडरता.
6. गधे से ये तीन बाते सीखे. 1. अपना बोझा ढोना ना छोड़े. 2. सर्दी गर्मी की चिंता ना करे. 3. सदा संतुष्ट रहे.
जो व्यक्ति इन अठारा बातों को अपनाएगा वह जो भी करेगा सफल होगा।
दुनियादारी और कार-विहार संबंधी आचार्य चाणक्य के विचार
9. भविष्य में आनी वाली मुसीबतो से बचने के लिए धन इकट्ठा करना चाहिए, यहां तक कि अमीरों को भी, क्योंकि जब धन साथ छोड़ता है तो संगठित धन भी तेज़ी से घटने लगता है।
10. हर चीज़ की ‘अति’ बुरी होती है, क्योंकि आत्याधिक सुंदरता के कारन सीताहरण हुआ, अत्यंत घमंड के कारन रावन का अंत हुआ, अत्यधिक दान देने के कारन रजा बाली को बंधन में बंधना पड़ा, अतः सर्वत्र अति को त्यागना चाहिए।
11. यदि आप पर मुसीबत आती नहीं है तो उससे सावधान रहे। लेकिन यदि मुसीबत आ जाती है तो किसी भी तरह उससे छुटकारा पाए।
12. व्यक्ति नीचे दी हुए 3 चीजो से संतुष्ट रहे…
1. खुदकी पत्नी 2. वह भोजन जो विधाता ने प्रदान किया. 3. उतना धन जितना इमानदारी से मिल गया.
13. लेकिन व्यक्ति को नीचे दी हुई 3 चीजो से संतुष्ट नहीं होना चाहिए…
1. अभ्यास 2. भगवान् का नाम स्मरण 3. दूसरो की भलाई
14. हमें दुसरो से जो मदद प्राप्त हुई है उसे हमें लौटना चाहिए. उसी प्रकार यदि किसीने हमसे यदि दुष्टता की है तो हमें भी उससे दुष्टता करनी चाहिए. ऐसा करने में कोई पाप नहीं है।
15. एक समझदार व्यक्ति को कभी ऐसी जगह नही जाना चाहिए जहां:
– रोज़गार कमाने का कोई साधन ना हो,
– लोगो को किसी बात का डर ना हो,
– लोगो को किसी बात की शर्म ना हो,
– जहां बुद्धिमान लोग ना हो ( उदाहरण के तौर पर पाकिस्तान),
– और जहां के लोग दान धर्म करना ना जानते हों।
आचरण और विवहार संबंधी आचार्य चाणक्य के विचार
16. भगवान राम में ये सब गुण है:
1. सद्गुणों में प्रीती.
2. मीठे वचन
3. दान देने की तीव्र इच्छा शक्ति.
4. मित्रो के साथ कपट रहित व्यवहार.
5. गुरु की उपस्थिति में विनम्रता
6. मन की गहरी शान्ति.
7. शुद्ध आचरण
8. गुणों की परख
9. शास्त्र के ज्ञान की अनुभूति
10. रूप की सुन्दरता
11. भगवत भक्ति
17. विद्या अर्जन करना यह एक कामधेनु के समान है जो हर मौसम में अमृत प्रदान करती है। वह विदेश में माता के समान रक्षक अवं हितकारी होती है। इसीलिए विद्या को एक गुप्त धन कहा जाता है।
18.
जो मेहनती हैं, वो गरीब नही हो सकते,
हरदम भगवान को याद करते रहने वालों को कभी भी पाप नही छू सकता,
जो चुप और शांत रहे है वो झगड़ो में नही पड़ते,
जागृत लोग निडर रहते है।
19.
अच्छा आचरण दुःख को मिटाता है.
विवेक अज्ञान को नष्ट करता है.
जानकारी भय को समाप्त करती है.
20.
वासना के समान दुष्कर कोई रोग नहीं.
मोह के समान कोई शत्रु नहीं.
क्रोध के समान अग्नि नहीं.
स्वरुप ज्ञान के समान कोई बोध नहीं.
21. नरक में निवास करने वाले और धरती पर निवास करने वालो में साम्यता – 1. अत्याधिक क्रोध 2. कठोर वचन 3. अपने ही संबंधियों से शत्रुता 4. नीच लोगो से मैत्री 5. हीन हरकते करने वालो की चाकरी।
22.
एक संयमित मन के समान कोई तप नहीं.
संतोष के समान कोई सुख नहीं.
लोभ के समान कोई रोग नहीं.
दया के समान कोई गुण नहीं.
23. वे लोग जो इस दुनिया में सुखी है. जो अपने संबंधियों के प्रति उदार है. अनजाने लोगो के प्रति सह्रदय है. अच्छे लोगो के प्रति प्रेम भाव रखते है. नीच लोगो से धूर्तता पूर्ण व्यवहार करते है. विद्वानों से कुछ नहीं छुपाते. दुश्मनों के सामने साहस दिखाते है. बड़ो के प्रति विनम्र और पत्नी के प्रति सख्त है।
दूसरे लोगों संबंधी आचार्य चाणक्य के विचार
24. ऐसे लोगों से बचना चाहिए जो आपके मुह पर तो मीठी बातें करते हैं, पर आपकी पीठ पीछे आपको बर्बाद करने की योजना बनाते है, ऐसा करने वाले ज़हर के उस घड़े के समान है जिसकी उपरी सतह दूध से भरी है, पर अंदर जह़र ही ज़हर है।
25. सबसे ज्यादा दुखदाई बात किसी दूसरे के घर जाकर उसका अहसान लेना है।
26. जो जन्म से अंधें हैं वो देख नहीं सकते। उसी तरह जो वासना के अधीन है वो भी देख नहीं सकते। घमंडी व्यक्ति को कभी ऐसा नहीं लगता की वह कुछ बुरा कर रहा है। और जो पैसे के पीछे पड़े है उनको उनके कामों में कोई बुराई नही दिखाई देती।
27. अपने व्यवहार में बहुत सीधे ना रहे। आप यदि वन जाकर देखते है तो पायेंगे की जो पेड़ सीधे उगे उन्हें काट लिया गया और जो पेड़ आड़े तिरछे है वो खड़े है। ( मतलब कि लोगों को अपना गलत इस्तेमाल करने ना दें, उन्हें जवाब देना सीखें।)
28. नीच लोग दूसरो की तरक्की देखकर जलते है और दूसरो के बारे में अपशब्द कहते है क्यों कि उनकी कुछ करने की औकात नहीं है।
दोस्तो, रिश्तेदारों और परिवारिक सदस्यो संबंधी आचार्य चाणक्य के विचार
29. रिश्तेदारों की परख तब करें जब आप किसी मुसीबत में घिरे हों।
30. एक अच्छा दोस्त वही है जो जरूरत पड़ने पर आपके काम आए, जा फिर दुर्घटना में आपकी सहायता करे।
31. उस व्यक्ति के लिए पृथ्वी ही स्वर्ग है:
– जिसका पुत्र उसकी बात मानता हो।
– जिसकी पत्नी उसकी अच्छा के अनुरूप व्यव्हार करती है।
– जिसे अपने धन पर संतोष है।
32. पुत्र वही है जो पिता का कहना मानें, पिता वही है जो पुत्रों का पालन-पोषण करे, और पत्नी वही है जिससे सुख प्राप्त हो।
33. आपको कभी भी अपना कोई राज़ किसी भी दोस्त को नही बताना चाहिए, क्योंकि एक पक्का दोस्त भी नाराज़ होने पर आपके सारे राज़ खोल सकता है।
34. पिता को अपने बच्चों को हमेशा अच्छे- बूरे की सीख देनी चाहिए क्योंकि समझदार लोग ही समाज में सम्मान पातें हैं।
35. लाड-प्यार से बच्चों मे गलत आदते ढलती है, उन्हें कड़ी शिक्षा देने से वे अच्छी आदते सीखते है, इसलिए बच्चों को जरुरत पड़ने पर फिटकारें, ज्यादा लाड ना करें।
36. जिस प्रकार केवल एक सुखा हुआ जलता पेड़ पूरे जंगल को जला देता है उसी प्रकार एक ही कुपुत्र सरे कुल के मान, मर्यादा और प्रतिष्ठा को नष्ट कर देता है।
37. पांच साल तक पुत्र को लाड एवं प्यार से पालन करना चाहिए, दस साल तक उसे छड़ी की मार से डराए। लेकिन इसके बाद उससे मित्र के समान वयवहार करे क्योंकि आपके बालिग पुत्र ही आपके और आप उसके सबसे अच्छे मित्र होते हैं।
38. एक ऐसा बालक जो जन्मते वक़्त मृत था, एक मुर्ख दीर्घायु बालक से बेहतर है। पहला बालक तो एक क्षण के लिए दुःख देता है, दूसरा बालक उसके माँ बाप को जिंदगी भर दुःख की अग्नि में जलाता है।
39. निम्नलिखित बाते व्यक्ति को बिना आग के ही जलाती है…
1. एक छोटे गाव में बसना जहा रहने की सुविधाए उपलब्ध नहीं।
2. अस्वास्थय्वर्धक भोजन का सेवन करना।
3. जिसकी पत्नी हरदम गुस्से में होती है।
4. जिसको मुर्ख पुत्र है।
5. जिसकी पुत्री विधवा हो गयी है।
6. अपने से कम योग्यता वाले व्यक्ति के अधीन काम करना। (मतलब 80 परसेंट वाले को 38 परसेंट वाले के नीचे बैठा देना)