BJP में चल रहे मौजूदा हालातों से आडवाणी इस कदर नाराज थे कि गोवा कार्यकारिणी में भी नहीं गए। आडवाणी खुद को बीमार बता कर इस बैठक में भी शामिल नहीं हुए। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ आज सुबह ही लालकृष्ण आडवाणी के प्राइवेट सेक्रेटरी दीपक चोपड़ा ने राजनाथ सिंह को उनका इस्तीफा सौंप दिया था। इसके बाद राजनाथ सिंह उन्हें मनाने के लिए पृथ्वीराज रोड स्थित उनके घर पहुंचे थे, लेकिन वह नहीं माने।
आडवाणी ने पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को लिखे खत में कहा है कि मैंने पूरे जीवन पहले जनसंघ और फिर भारतीय जनता पार्टी की पूरे गर्व के साथ सेवा की है। इस राजनैतिक काम में मुझे पूरी संतुष्टि भी रही है। मैं पिछले कुछ समय से अपने आप को पार्टी में सहज नहीं पा रहा हूँ। मुझे लगता है कि बीजेपी अब वह आदर्श पार्टी नहीं रही जिसे श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीन दयाल उपाध्याय और अटल बिहार वाजपेयी ने जिस पार्टी को बनायाए खड़ा कियाए मुझे नहीं लगता ये वही पार्टी है। ये दिशा भटक चुकी है। इसके साथ ही आडवाणी ने कहा कि इस पत्र को मेरा इस्तीफा समझा जाए। आडवाणी ने पार्लियामेंट्री बोर्ड, राष्ट्रीय कार्यकारिणी और चुनाव कमेटी के पदों से इस्तीफा दिया है। हालांकि वह एनडी, के चेयरमैन बने रहेंगे या नहींए इस पर रुख अभी साफ नहीं है।
अब BJP में आये इस दौर को क्या कहा जाएए जहां एक ओर मोदी और आडवाणी के बीच दूरियां बढ़ती जा रही हैं तो आडवाणी को अपना गुरु बता चुके मोदी अब भी उन्हेंड आदरणीय बता रहे हैं। मोदी ने एक बार इंटरव्यू कह चुके हैं कि जब वह राजनीति में नहीं थे तो आडवाणी के इंटरव्यून से उन्हें काफी प्रेरणा मिलती थी। आडवाणी के विचार पढ़ कर उनके विचार को धार मिलती थी। मोदी ने यह भी माना कि आडवाणी के विचारों का उनकी विचारधारा में अहम योगदान रहा है। लेकिन BJP चुनाव प्रचार समिति का अध्यचक्ष बनाए जाने पर मोदी ने एक बार भी आडवाणी का नाम नहीं लिया। आडवाणी के द्वारा लिए गये इस फैसले से पार्टी के साथ संघ परिवार में भी हलचल होना स्वाभाविक है।