अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया है। टोलो न्यूज ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। गनी के देश छोड़ने से पहले तालिबानी आतंकियों का एक दल राष्ट्रपति भवन सत्ता के हस्तांतरण के लिए पहुंचा था। सूत्रों के अनुसार, रविवार को नई अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में अली अहमद जलाली को चुना गया है। तालिबान को सत्ता हस्तांतरित करने के लिए अफगान प्रेसिडेंशियल पैलेस एआरजी में बातचीत चल रही है। खामा प्रेस न्यूज एजेंसी ने बताया कि राष्ट्रीय सुलह के लिए उच्च परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला के बारे में कहा जाता है कि वे इस प्रक्रिया में मध्यस्थता कर रहे हैं।
आपको बता दें कि तालिबान ने राजधानी काबुल के बाहरी इलाकों में रविवार को प्रवेश कर लिया और कहा कि वे सत्ता के ‘शांतिपूर्ण हस्तांतरण का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने ताकत के बल पर इसे नियंत्रण में नहीं लेने का वादा किया। हालांकि अनिश्चितता की स्थिति से घबराए निवाासियों के साथ ही सरकारी कर्मचारी कार्यालयों से भागने लगे और अमेरिकी दूतावास पर हेलीकॉप्टर उतरने लगे।
तालिबान का काबुल में प्रवेश, सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण का इंतजार
अफगानिस्तान के तीन अधिकारियों ने द एसोसिएटेड प्रेस (एपी) को बताया कि तालिबान राजधानी में कलाकन, काराबाग और पघमान जिलों में है। तालिबान ने अपने आक्रमण को तेज करते हुए देश के बड़े हिस्से पर कब्जा जमा लिया और अफगान सुरक्षा बलों को अमेरिकी सेना के हवाई सहयोग के बावजूद खदेड़ दिया है। इसने कई लोगों को हैरत में डाल दिया है और उन्होंने सवाल उठाया कि अमेरिका के प्रशिक्षण और अरबों डॉलर खर्च करने के बावजूद सुरक्षाबलों की स्थिति खराब कैसे हो गयी। कुछ दिनों पहले ही अमेरिकी सेना ने अनुमान जताया था कि एक महीने से कम समय में ही राजधानी पर तालिबान का कब्जा हो जाएगा।
तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कतर के अल-जजीरा अंग्रेजी उपग्रह समाचार चैनल को बताया कि चरमपंथी काबुल शहर के शांतिपूर्ण हस्तांतरण का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने अपने लड़ाकों और सरकार के बीच किसी भी संभावित वार्ता की जानकारी देने से इनकार कर दिया। हालांकि यह पूछने पर कि तालिबान किस तरह का समझौता चाहता है, इस पर शाहीन ने माना कि वे चाहते हैं कि केंद्र सरकार बिना किसी शर्त के आत्मसमर्पण कर दें।
अफगानिस्तान के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि तालिबान के वार्ताकार सत्ता हस्तांतरण पर चर्चा करने के लिए रविवार को राष्ट्रपति आवास पहुंचे हैं। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि सत्ता हस्तांतरण कब होगा।
कार्यवाहक रक्षा मंत्री बिस्मिल्ला खान ने एक वीडियो संदेश में कहा, ”एक प्रतिनिधिमंडल को अधिकार दिया गया है जो अफगानिस्तान पर समझौता करने के लिए कल दोहा (कतर) जाएगा। मैं आपको काबुल की सुरक्षा का आश्वासन देता हूं।”
अफगानिस्तान छोड़ने की तैयारी में लोग
इससे पहले, चरमपंथियों ने भी राजधानी के निवासियों को शांत करने की कोशिश की। चरमपंथियों ने एक बयान में कहा, ”किसी के भी जीवन, संपत्ति और प्रतिष्ठा को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा अैर काबुल के नागरिकों की जान खतरे में नहीं डाल जाएगी।” इन आश्वासनों के बावजूद घबराए लोग काबुल हवाईअड्डे के जरिए देश छोड़ने की तैयारी में है। तालिबान के हर सीमा चौकी पर कब्जा जमाने के कारण देश से बाहर जाने का यही एक मार्ग बचा है। चरमपंथियों के जलालाबाद पर कब्जा जमाने के कुछ घंटों बाद बोइंग सीएच-47 चिनूक हेलीकॉप्टर दूतावास के समीप उतरने लगे।
अमेरिका भी दूतावास से अपने अधाकारियों को निकाल रहा
अमेरिकी दूतावास के निकट राजनयिकों के बख्तरबंद एसयूवी वाहन निकलते दिखे और इनके साथ ही विमानों की लगातार आवाजाही भी देखी गई। हालांकि अमेरिका सरकार ने अभी इस बारे में तत्काल कोई जानकारी नहीं दी है। दूतावास की छत के निकट धुआं उठता देखा गया जिसकी वजह अमेरिका के दो सैन्य अधिकारियों के मुताबिक राजनयिकों द्वारा संवेदनशील दस्तावेजों को जलाना है। अमेरिका ने कुछ दिनों पहले अपने दूतावास से कर्मचारियों को निकालने में मदद के लिए हजारों सैनिकों को भेजने का फैसला किया था। एक पायलट ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर अफगान बलों ने पश्चिमी सेनाओं को छोड़ दिया है। इससे पहले एक अफगान विमान सैनिकों को लेकर कंधार से हवाईअड्डे पहुंचा जिन्होंने तालिबान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
राष्ट्रपति अशरफ गनी भी अलग-थलग पड़ते दिखाई दिए। उन्होंने तालिबान का आक्रमण शुरू होने के बाद से पहली बार रविवार को देश को संबोधित किया। उन्होंने कुछ दिनों पहले जिन छत्रपों से बात की थी उन्होंने तालिबान के सामने हथियार डाल दिए या भाग गए जिससे गनी के पास सेना का समर्थन नहीं बचा।