नई दिल्ली : देश में नोटबंदी से लोग अभी जूझ ही रहे थे कि सरकार ने एक और बड़ा फैसला ले लिया। नोटबंदी के बाद अब आटाबंदी होने जा रही है। सरकार ने इस बारे में दिशा निर्देश भी जारी कर दिए हैं। राशन डिपो में आटाबंदी की घोषणा एपीएल राशनकार्ड धारकों पर लागू होने जा रही है।
अकेले हिमाचल के करीब 12 लाख एपीएल परिवारों को अब महंगाई की मार झेलनी पड़ेगी। इन्हें अब अगले साल मार्च तक राशनकार्ड पर सस्ता आटा नहीं दिया जाएगा। राशन डिपो में आटाबंदी की घोषणा से एपीएल राशनकार्ड धारकों में रोष है।
डिपो में जहां एक कार्ड पर लोगों को एक सौ ग्यारह रुपये में तेरह किलो आटा मिलता है। वही आटा अब बाजार में चार सौ सोलह रुपये में मिलेगा। पहले से ही महंगाई की मार झेल रही जनता के लिए यह जले पर नमक छिड़कने वाला फैसला हो गया है।
आटा बंदी का सरकार का फैसला शिमला के हजारों एपीएल परिवारों पर भारी पड़ गया है। शिमला शहर की जनता का कहना है कि केंद्र सरकार की नोटबंदी के 28वें दिन आटाबंदी की घोषणा से लोग सकते में हैं। जिले में करीब 1,35,625 एपीएल राशनकार्ड धारक हैं। उपभोक्ताओं की संख्या 5,12,000 के करीब है। जबकि शिमला शहर में एपीएल के 30,018 राशनकार्ड हैं।
खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले की निदेशक एम सुधा देवी का कहना है कि भारत सरकार की ओर से मिले आदेश में मार्च माह तक आटा नहीं देने को कहा गया था। 80 से 90 फीसदी आटा पहले मंगवा दिया था। दिसंबर माह में लोगों को आटा बांट दिया जाएगा।
वहीं, हिमाचल के बैंक मौजूदा समय में ग्राहकों की मांग के मुताबिक पर्याप्त कैश देने में पूरी तरह से फेल हो गए हैं। हालात यह हैं कि किसी भी बैंक के पास मौजूदा समय में ग्राहकों को देने के लिए पर्याप्त कैश नहीं है। हर बैंक पैसों के लिए चंडीगढ़ के रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया पर निर्भर है। आठ अक्तूबर से पूरे देश में नोटबंदी होने के बाद जिला शिमला के बैंकों में अभी भी नई करंसी की दिक्कत आ रही है।
बैंकों को अपने उपभोक्ताओं को नए नोट देने के लिए रोजाना चंडीगढ़ के आरबीआई से कैश मंगवाना पड़ रहा है। चंडीगढ़ से भी शिमला की बैंक शाखाओं को मांग के मुताबिक पैसा नहीं मिलने के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बैंक अधिकारियों का कहना हे कि आरबीआई से शाखाओं के मुताबिक पैसा न मिलने के कारण उन्हें अपने उपभोक्ताओं के साथ पैसों के लेनदेन करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
वहीँ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया शहर के बैंकों को मांग के मुताबिक पैसा नहीं दे रहा है। बैंक के अधिकारियों का कहना है कि आरबीआई बैंक करेंसी चेस्ट के हिसाब से बैंकों को पैसा दे रहा है। अधिकारियों का कहना है कि शहर के अधिकतर बैंकों की करंसी चेस्ट कम है और उसकी शाखाऐं और उपभोक्ताओं के खाते अधिक हैं। इस कारण पैसा कम पड़ रहा है। जिस बैंक की करंसी चेस्ट ज्यादा है उस बैंक की शाखाएं कम हैं और ग्राहकों के खाते भी कम हैं। उस बैंक को कम परेशानी हो रही है। अधिकारियों का कहना है कि आरबीआई से बैंकों को उनकी शाखाओं और ग्राहकों के बैंक खातों और उनके व्यापार के मुताबिक पैसा मिलना चाहिए।
राजधानी शिमला में अभी तक आरबीआई की बैंक नोट इशूएंस की ब्रांच ही नहीं है। शिमला में चंडीगढ़ की ही तर्ज पर आरबीआई का बैंक है और चंडीगढ़ के मुताबिक ही यहां पर बैंक में अधिकारी बैठते हैं, लेकिन यहां के बैंक के पास वो ब्रांच ही नहीं है जहां से शहर के बैंकों को करंसी दी जाए।