नई दिल्ली : 2016 में नोट बंदी से देश को झटका देने वाली मोदी सरकार फिर से लोगों को एक बड़ा झटका देने जा रही है। जी हाँ नोटबंदी के बाद अब सरकार बैंकिंग व्यवस्था में एक और कानून बनाने जा रही है जिसका असर न सिर्फ बैंकों पर पड़ेगा बल्कि बैंक में बचत खाते में पैसा रखने वाला एक-एक ग्राहक इस कानून के दायरे में रहेगा।
जानिए, क्या है यह बिल
केंद्रीय कैबिनेट ने अभी हाल ही में फाइनेंशियल रेजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इन्श्योरेंस बिल (FRDI) के नए संशोधित ड्रॉफ्ट को पास कर दिया है और इसे संसद में पेश करने की तैयारी है। दोनों सदनों में बहुमत होने के कारण यह बिल आसानी से पास होने की उम्मीद है। इससे पहले इसे मानसून सत्र में पेश किया गया था, लेकिन तब ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी के पास नए सुझावों के लिए भेज दिया गया था।
सरकार तय करेगी आप कितना पैसा निकाल सकेंगे
मौजूदा समय में अलग-अलग बैंकों में जमा आपके पैसे की गारंटी इसी कानून से मिलती है। इस कानून में एक अहम प्रावधान है कि अगर किसी बैंक को दिवालिया घोषित किया जाता है तो बैंक के ग्राहकों का एक लाख रुपए तक डिपॉजिट बैंक को वापस करना होगा। अगर यह बिल पास हो गया तो सरकार एक नया रेजोल्यूशन कॉर्पोरेशन बनाएगी। इस कॉर्पोरेशन के बनने के बाद पुराना कानून पूरी तरह से निष्प्रभावी हो जाएगा, जिसके चलते अभी तक बैंकों को सरकार की तरफ से गारंटी मिली हुई थी।
नए कानून के मुताबिक बैंकों के दिवालिया होने की स्थिति में आम लोगों का एक लाख रुपए से अधिक पैसे का इस्तेमाल बैंक को फिर से खड़ा करने में लगाएगी। इतना ही नहीं आप बैंक में पड़े अपने पैसे को कितना निकाल सकते हैं यह भी सरकार ही तय करेगी। अगर सरकार को लगा कि आपकी एक लाख से ऊपर जमा पूरी राशि को बैंकों का एनपीए कम करने में इस्तेमाल हो सकता है, तो फिर आप अपने खाते से राशि को कम से कम पांच साल के लिए निकाल नहीं पाएंगे।