नई दिल्ली : अमेरिका ने रूस को चेतावनी दी है कि यदि उसने अपनी मिसाइलों को 60 दिन के भीतर नष्ट नहीं किया तो वह शीत युद्ध के दौरान परमाणु हथियारों को लेकर हुई महत्वपूर्ण संधि से खुद को अलग कर लेगा। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने मंगलवार को कहा कि यदि मॉस्को अपनी नयी प्रणाली को वापस नहीं लेता है तो वह 1987 में हुई इंटरमीडिएट रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज (आईएनएफ) संधि मानने को बाध्य नहीं होगा।
अमेरिका का कहना है कि रूस की मिसाइल प्रणाली ने हथियारों की होड़ बढ़ने का खतरा फिर से पैदा कर दिया है। नाटो का कहना है कि तमाम लोगों की नजरों में दुनिया भर में हथियारों की होड़ पर नियंत्रण रखने वाली इस संधि को बचाने की जिम्मेदारी अब रूस की है। वहीं, संगठन प्रमुख जेन्स स्टोलटेनबर्ग का कहना है कि बिना संधि की दुनिया के लिये तैयार होने का वक्त आ गया है।
नाटो के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के साथ बैठक के बाद पोम्पिओ ने कहा, अमेरिका आज घोषणा करता है कि रूस ने संधि का गंभीर उल्लंघन किया है और यदि रूस 60 दिन के भीतर पूर्ण रूप से इसका सत्यापन योग्य अनुपालन नहीं करता है तो हम अपना सारा दायित्व छोड़ देंगे।’’
उन्होंने कहा कि रूस के इस कदम से अमेरिका और हमारे सहयोगियों तथा साझेदारों की राष्ट्रीय सुरक्षा को बड़ा खतरा है। ‘‘इसका कोई मतलब नहीं बनता है कि अमेरिका इस संधि में बना रहे और रूस के उल्लंघनों का जवाब देने की अपनी क्षमता को नियंत्रित करता रहे।’’
अमेरिका और नाटो का कहना है कि रूस की 9एम729 प्रणाली आईएनएफ संधि का उल्लंघन करती है। इस संधि के तहत जमीन से दागी जाने वाली 500 से 5,500 किलोमीटर रेंज की मिसाइलें प्रतिबंधित हैं।
नाटो का कहना है कि रूस की परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम ये क्रूज मिसाइलें कहीं से भी दागी जा सकती हैं और इनका पता लगाना भी मुश्किल है। यह बेहद मामूली या बिना किसी चेतावनी के यूरोप के किसी भी शहर को अपना निशाना बना सकती हैं।