नई दिल्ली : जल, जंगल और जमीन संरक्षण के आंदोलन को नेतृत्व देने के लिए अन्ना हजारे एकबार फिर मैदान में उतर गए हैं। देशवासियों को दिल्ली के रामलीला मैदान पहुंचने का आह्वान करते हुए उन्होंने शुक्रवार को पलवल के ऐतिहासिक गांधी सेवाश्रम से यात्रा शुरू कर दी।
भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत लोकपाल लाने के लिए जन आंदोलन चला चुके प्रख्यात समाजसेवी अन्ना हजारे अब जल, जंगल और जमीन के संरक्षण के लिए आंदोलनरत देश के प्रमुख संगठनों का नेतृत्व करेंगे। भ्रष्टाचार, गरीबी, अशिक्षा-मुक्तअसली आजादी के लिए अन्ना ने देशवासियों का आह्वान किया कि सभी राज्यों-जिलों में जाकर पदयात्रा कर लोगों को जागरूक करें और दिल्ली के रामलीला मैदान की ओर कूच करें।
अन्ना हजारे ने कहा कि 23 व 24 फरवरी को दिल्ली में जंतर-मंतर पर जल, जंगल और जमीन संरक्षण में जुटे सभी प्रमुख संगठन एक मंच पर दिखाई देंगे। सत्याग्रहियों के इस मंच पर अन्ना के साथ राष्ट्रीय परिषद के संयोजक एवं जल, जंगल, जमीन संरक्षक आंदोलन के प्रणेता पीवी राजगोपाल, जलपुरुष राजेंद्र सिंह, नर्मदा बचाओ आंदोलन की संयोजक मेधा पाटेकर, सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय, एन.सुब्बाराव, विनोबा भावे के शिष्य बाल विजय, एक समय में भाजपा के थिंक टैंक रहे केएन गोविंदाचार्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मुहम्मद खान भी मौजूद थे।
अन्ना ने कहा कि अपने अधिकारों के लिए जनता देश की सभी जेलों को भर देगी। संसद के बजट सत्र में भूमि अधिग्रहण विधेयक को रखे जाने के खिलाफ दिल्ली कूच करने वाले सत्याग्रहियों को हरी झंडी दिखाने से पहले अन्ना हजारे ने इस विधेयक को किसानों के खिलाफ और उद्योगपतियों के पक्ष में बताया।
उन्होंने केंद्र सरकार पर सीधे निशाना साधते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले सुना था कि अच्छे दिन आएंगे मगर अब केंद्र की नौ महीने की सरकार में सिर्फ उद्योगपतियों के ही अच्छे दिन आए हैं।
हरियाणा के पलवल में एकता परिषद की तरफ से शुरू हुए भूमि अधिकार चेतावनी सत्याग्रह पदयात्रा में शामिल होने देश भर से आए किसानों-मजदूरों को संबोधित करते हुए अन्ना हजारे ने कहा कि इस बार दिल्ली में बैठ जाएंगे तो तब तक नहीं जाएंगे, जब तक देश में लोकतंत्र कायम नहीं हो जाता। इसके लिए बेशक जेल भरो आंदोलन क्यों न करना पड़े।