आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट, स्थिर पड़े निवेश, ऊंचे राजकोषीय घाटे व बाहरी (तेल) संकट के बीच बीजेपी नीत सरकार महंगाई से त्रस्त आम आदमी को राहत देने के वादे के साथ सत्ता में आई है। सरकार से कर स्लैब ऊंचा करने एवं कर छूट की वार्षिक आय सीमा बढ़ाने की बहुत उम्मीदें हैं और यदि सरकार इस मोर्चे पर कदम उठाती है तो वेतनभोगी वर्ग को जरूरी राहत मिलेगी। निवेश बढ़ाने के लिए जेटली उद्योग के लिए कर प्रोत्साहन की घोषणा कर सकते हैं।
बजट आने से पहले ही सरकार वाहन एवं टिकाउ उपभोक्ता सामान क्षेत्रों के लिए शुत्पाद शुल्क में रियायत की मियाद दिसंबर तक के लिए बढ़ा चुकी है। वित्त मंत्री द्वारा सोने के आयात पर शुल्क में कमी किए जाने की भी संभावना है। बढ़ते चालू खाते के घाटे पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने पिछले साल सोने के आयात पर शुल्क बढ़ा दिया था।
जेटली कमजोर मानसून के असर से किसानों को बचाने के लिए उन्हें भी राहत प्रदान कर सकते हैं। जैसा कि बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था, सरकार मूल्य स्थिरीकरण कोष स्थापित कर सकती है। भले ही जेटली खाटी अर्थशास्त्री न हों, वह राजकोषीय स्थिति मजबूत करने की दिशा में काम करेंगे और लोक-लुभावन योजनाओं पर राजकोष की बलि नहीं चढ़ाएंगे. वह पहले ही इसका संकेत दे चुके हैं।
हाल ही में उन्होंने कहा था, ‘यदि आप लोकलुभावन योजनाओं में लिप्त होते हैं तो इसका बोझ सरकारी खजाने पर पड़ेगा। इसलिए, आपको राजकोषीय स्थिति मजबूत करने का मार्ग अपनाना होगा। इस दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में संकेत दिया कि बजट में कुछ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
मोदी ने कहा था, ‘मैं इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हूं कि मेरे कुछ कदमों से लोगों का दिल टूट सकता हैं। लेकिन जब मेरे देशवासी इस बात का एहसास करेंगे कि इन कदमों से देश की वित्तीय स्थिति फिर से सुधरेगी तो उनके दिलों में फिर से मेरे लिए प्यार जागेगा।
‘यदि ये सख्त उपाय नहीं किए गए तो वित्तीय स्थिति नहीं सुधरेगी। हमें जहां भी जरूरत पड़ेगी, हम कार्रवाई करेंगे। बजट में सिगरेट आदि पर उत्पाद शुल्क बढ़ाए जाने की संभावना है। साथ ही सालाना 10 लाख रुपये से अधिक की आय कर रहे लोगों पर अधिक कर लगाया जा सकता है।