नई दिल्ली : अपने आश्रम की नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के अपराध में आसाराम को स्थानीय विशेष अदालत ने बुधवार को ताउम्र कैद की सजा सुनाई। उस पर तीन लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
जज मधुसूदन शर्मा ने सजा सुनाते हुए कहा कि अपराध घिनौना है और उसे मौत तक जेल में रहना होगा। सजा आइपीसी तथा किशोर न्याय कानून के तहत सुनाई गई है। मामले में लिप्त आसाराम के दो सहयोगियों – छात्रावास की वॉर्डन शिल्पी और गुरुकुल के संचालक शरद को भी 20-20 साल कैद की सजा सुनाई गई है।
जबकि दो अन्य सहयोगी सेवादार शिवा तथा रसोइया प्रकाश द्विवेदी को सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है। आरोप था कि शिल्पी इलाज के नाम पर छात्रा को प्रेरित कर आसाराम के पास भेजती थी, जबकि शरद ने छात्रा की बीमारी का इलाज नहीं कराया। उसने छात्रा के परिजनों को भ्रमित किया कि उसका इलाज सिर्फ आसाराम ही कर सकता है।
दुष्कर्म के अपराध में पिछले नौ महीनों में सजा पाने वाला आसाराम दूसरा स्वयंभू बाबा है। करीब 56 माह पुराने इस मामले में आसाराम को सजा सुनाने के लिए पुलिस के आग्रह पर बुधवार को जोधपुर सेंट्रल जेल में बैरक नंबर दो के पास ही विशेष कोर्ट लगाई गई थी। जहां 77 वर्षीय आसाराम 2013 से बंद है। सजा सुनते ही आसाराम सिर पकड़कर रोने लगा और हाथ जोड़कर जज से उम्र का लिहाज कर सजा में रियायत की मिन्नतें करने लगा।
बता दें कि पीड़िता को हर्जाने में देंगे पांच लाख रुपयेपीडि़ता के वकील ने आसाराम सहित सभी दोषियों से हर्जाने के रूप में एक-एक करोड़ रुपये दिलाने का कोर्ट से आग्रह किया। इस पर कोर्ट ने आसाराम को तीन लाख और शिल्पा व शरद को एक-एक लाख रुपये पीडि़ता को हर्जाना देने का आदेश दिया।
वहीँ पुरे मामले के बाद आश्रम की प्रवक्ता नीलम दुबे ने कहा कि आसाराम की सजा स्थगित कराने के लिए हाई कोर्ट में अपील की जाएगी। गुरुवार को सजा स्थगित कराने के साथ ही जमानत की याचिका भी हाई कोर्ट में दायर की जाएगी ।
जानिये, क्या है मामला
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की रहने वाली पीडि़ता आसाराम के छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) स्थित आश्रम में पढ़ती थी। उसने आरोप लगाया था कि इलाज के नाम पर उसे जोधपुर के निकट आसाराम के मणाई आश्रम ले जाया गया, जहां आसाराम ने 15 अगस्त, 2013 की रात उससे दुष्कर्म किया।