नई दिल्ली : त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड के चुनाव परिणामों ने पूर्वोत्तर में भाजपा के विस्तार की नई इबारत लिखी है। वैसे तो इन तीनों ही राज्यों में भाजपा ने बेहतर प्रदर्शन किया है, लेकिन त्रिपुरा के चुनाव परिणाम बेहद अहम हैं।
त्रिपुरा में 25 सालों तक राज करने के बाद CPM को हार का सामना करना पड़ा है। इतना ही नहीं हार के बाद CPM को अब हिंसा का सामना भी करना पड़ रहा है।
बता दें कि त्रिपुरा में BJP की जीत के बाद राज्य में कई जगह CPM (एम) की दफ्तरों में तोड़फोड़ की खबर आ रही है। इस हिंसा का आरोप बीजेपी के कार्यकर्ताओं पर लगाया जा रहा है।
CPM ने त्रिपुरा में जीत हासिल कर 25 सालों से जारी वाम शासन को खत्म कर दिया है। BJP का पूरे त्रिपुरा में एक विधायक भी नहीं था और उसने 2013 के चुनाव में दो प्रतिशत से भी कम वोट हासिल किया था। वहीं जीत के बाद से ही बिशालगढ़, मोहनपुर, अमरेंद्रनगर, सबरूम, मेलागढ़, खोवाइर्, जीरानिया, खोमलुंग, बेलोनिया, रामनगर(अगरतला) और साउथ रामनगर(अगरतला) में तोड़फोड़ और मारपीट की घटनाएं हुई हैं।
CPM (एम) सांसद शंकर प्रसाद दत्ता ने इंडिया टुडे को बताया कि उनके कैंडिडेट पर हमले किए जा रहे हैं। उनके घरों और दफ्तरों में तोड़फोड़ की जा रही है। साथ ही उनके साथ राज्य में कई जगहों पर काफी मारपीट हो रही है। यह काफी चिंता का विषय है।
बता दें कि त्रिपुरा में 60 सदस्यीय विधानसभा में BJP ने 35 सीटों पर जीत दर्ज की है, वहीं सहयोगी IPFT की झोली में 8 सीटें आई हैं।
माणिक सरकार के नेतृत्व में वाम मोर्चे को केवल 16 सीटें मिली हैं। साथ ही पूर्वोत्तर के बाकी दोनों राज्यों- मेघालय और नगालैंड में हुए चुनावों के बाद केंद्र में सत्तारूढ़ BJP इन राज्यों में भी सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाने जा रही है। ऐसे में BJP अपने सहयोगी दलों के साथ जल्द ही 21 राज्यों में सरकार में होगी।