मां बनना एक स्त्री के लिए बहुत सुखद एहसास है , एक स्त्री मां बनने के बाद खुद को सपूर्ण पाती है। स्त्री के तमाम सुखों में माँ बनना उन्हें सबसे बड़े सुख की अनुभूति करवाता है । लेकिन ये सुख सभी स्त्रियों के नसीब में नहीं होता है,और जो इस सुख को प्राप्त नहीं कर पाती उन्हें हमारे समाज में बाझ कहाँ जाता है , बाँझपन एक बीमारी है जो स्त्री और मर्द दोनों के कारण हो सकता है । जब मां बनने का सपना एक स्त्री पूरा नहीं कर पाती वो भवनात्मक रूप से टूट जाती है ।आइए जानते बाझपन की बीमारी के क्या कारण हो सकते है ।
1.अनियमित महावरी का आना
महावरी स्त्री की प्रकृतिक क्रिया है ,जो उसके शरीर और उसके अच्छे स्वास्थ्य प्रमाणित करती है। जिससे स्त्री आगे चलकर प्रजनन की प्रक्रिया आसानी से पूर्ण कर सके। परंतु जब किसी स्त्री को अनियमित महावरी होती है तो उसे बांझपन होने की आशंका बनी रहती है। किसी स्त्री को गर्भाधारण करने के लिए उसकी महावरी का नियमित आना अत्यंत आवश्यक है । महावरी के नियमित न आने के कारण गर्भाधारण में तमाम परेशानी आ सकती है। महावरी के अनियमित होने से हार्मोंसअनियमित हो जाते हैं और ठीक से काम नहीं करते है। इस के लिए प्रोलेक्टिन हार्मोंस , एस्ट्रोजन हार्मोंस, एंटी मुलेरियन्स हार्मोंस सभी अनियमित हो जाते हैं।
2.बच्चेदानी में गांठ हो जाना
ये बीमारी महिलाओं में सबसे ज्यादा देखने को मिलती है ।इस बीमारी को फाइब्राइड कहा जाता है इस बीमारी में बच्चेदानी के मांसपेशियों असमान्य रूप बढ़कर एक ट्यूमर का रूप ले लेती है । इस बीमारी के कारण महावरी के दौरान स्राव अधिक होना । यौन संबंध के समय योनि से पानी आना , महावरी खत्म होने पर भी स्राव का होना आदि । ये सभी लक्षण बाझपन होने के कारण है । एक रिसर्च के अनुसार फाइब्राइड बाझपन के लिए बहुत हद तक जिम्मेदार है।
3.ट्यूबल का खराब हो जाना
ट्यूब एक ऐसा बीमारी है जिसमें महिलाओं के गर्भाशय का फेलोपियन ट्यूब बंद हो जाता है ।जिसके कारण गर्भधारण नहीं हो पाता है 18 से 20 प्रतिशत मामलों में ट्यूब खराब होने के कारण बाझपन की समस्या होती है।
4. मोटापा
मोटापा प्रजनन स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है । मोटापे से ग्रस्त महिलाओं में गर्भाधारण की संभावना बहुत कम होती है । मोटापा प्रजनन क्षमता को बहुत ही ज्यादा प्रभावित करता है जिसके के कारण बाझपन की स्थिति उत्पन्न होती है।
5. थॉयराइड
थॉयराइड ग्रंथि नियमित रूप से काम नहीं करती इसलिए गर्भाधारण करने में अनेक समस्याएं उत्पन्न होती हैं थॉयराइड के ओवरएक्टिव होने से गर्भाधारण करने में समस्याए होती है ।
बाझपन का आयुर्वेदिक उपचार और उसके उद्देश्य –
महिला में बांझपन बेहद गंभीर बीमारी है। परन्तु महिला को बांझपन से छुटकारा दिलाने में आयुर्वेदिक उपचार प्रभावी होते हैं। बहुत सी महिलाएं हैं जो गर्भनिरोधक को अपनाए बिना भी गर्भाधारण नहीं कर सकती हैं। जबकि प्रकति के अनुसार जीवन चक्र चलाने लिए प्रजनन क्रिया बहुत जरूरी है। आइए जानते है कि महिला बाझपन को आयुर्वेद के उपचार से कैसे दूर किया जा सकता है ।
बांझपन दूर करने की आयुर्वेदि एक और औषधी है ‘लोध्र’ जो महिलाओं के बांझपन के लक्षणों को दूर कर सकती है। लोध्र फॉलिक्युलर स्टिमुलेटिंग हार्मोन और ल्यूटिनाइजिंग जैसे प्रजनन हार्मोन के स्तर को बढ़ाने का काम करता हैं। लोध्र गर्भाधारण के प्रारंभिक महिनों के दौरान लोध्र का सेवन गर्भपात की संभावनाओं को कम करता है। नियमित रूप से भोजन के बाद लोध्र को दूध और शहद के साथ खाना चाहिए। लोध्र महिला बांझपन के आयुर्वेदिक उपचार में से एक है।
महिलाओं के लिए गोखरू या ‘गोक्षुर को वरदान माना जाता है। यह जड़ी बूटी महिला और पुरुषों में बांझपन को कम करने में में बहुत उपयोगी साबित हुआ है। महिलाओं के लिए यह फीमेल पर्टिलिटी टॉनिक का कार्य करता है। गोक्षुर अंडाशय को उत्तेजित करता है ।
किवांच (Mucuna pruriens) कौंच का बीज महिलाओं के बांझपन को दूर करने में मददगार साबित हुआ है । आयुर्वेद में कौंच बीज को विशेष औषधी के रूप में उपयोग किया जाता है। यह महिला और पुरुष दोनों की प्रजनन क्षमता में बढ़ाने में कारगर साबित हुआ है । कौंच के बीज कामोत्तेजक गुणों के लिए जाने जाते हैं। बांझपन का दूर करने के लिए महिलाओं को इसका सेवन करना चाहिए।
आयुर्वेद के अनुसार शुक्र धातू को शीत धतू के रूप में जाना जाता है। शुक्र को प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए शांत वातावरण की जरूरत होती है। इस लिए बहुत अधिक मसालेदार भोजन करने से शुक्र धातु की गुणवत्ता कम हो जाती है। यही कारण ही महिलाओं को मसालेदार भोजन का सेवन करने से बचना चाहिए मसालों की प्रकृति गर्म होती है। इसलिए मसालेदार भोजन महिलाओं में डिंब की गुणवत्ता को भी कम कर सकता है।
गर्भधारण करना केवल शारीरिक सुख प्राप्ति ले लिए नहीं होता है। बल्कि यह भवनात्मक ,शारीरिक, और आध्यात्मिक घटनाओं का स्वरूप होता है।