बाबा सुर्खियों में तब आए, जब टिहरी बांध के खिलाफ साल 2005 में उन्हों ने आमरण अनशन शुरू किया। गंगा को अविरल बनाए रखने की मांग को लेकर बाबा नागनाथ लगातार अनशन करते रहे। गंगा की खातिर जब निगमानंद हरिद्वालर में अनशन पर थे, तो बाबा नागनाथ ने काशी के मणिकर्णिका घाट पर आंदोलन का मोर्चा संभाल रखा था।
अघोरी पंथ से जुड़े बाबा नागनाथ का मानना था कि गंगा को अविरल बनाए बिना गंगा को पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता। बाबा नागनाथ ने गंगा को लेकर काशी में सबसे लंबे समय तक आंदोलन किया।
परिवार में 9 भाई-बहनों के बीच बाबा नागनाथ चौथे नंबर पर थे। आजीवन अविवाहित रहे नागनाथ ने श्माशान में ही अपना डेरा बना लिया था। नागनाथ उस धारा से जुड़े थे, जो मानता था कि गंगा की सफाई के लिए अलग से कुछ करने की जरूरत नहीं है, सिर्फ गंगा को अविरल बहने दिया जाए, तो गंगा अपनी सफाई खुद ही कर लेगी। वे टिहरी बांध से लेकर गंगा परियोजना तक के विरोध में थे।