भारत ने ओडिशा के बालासोर तट से अपने सर्वाधिक सक्षम प्रक्षेपास्त्र ‘अग्नि-5’ का पहला कैनिस्टर आधारित परीक्षण सफलतापूर्वक किया। अग्नि-5 भारत का पहला अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है, जो 5,000 किलोमीटर की दूरी तक मार करने में सक्षम है। अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन के बाद भारत दुनिया का पांचवां ऐसा देश है, जिसके पास अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है।
डीआरडीओ ने 4 साल में इस मिसाइल को बनाया है और इस पर करीब 50 करोड़ रुपये की लागत आई है। इस मिसाइल का वजन 50 टन और इसकी लंबाई 17.5 मीटर है। यह एक टन का परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है और 20 मिनट में 5,000 किमी की दूरी तय कर सकती है। चीन और यूरोप के सभी ठिकाने इस मिसाइल की पहुंच में है।
भारत के पास ‘अग्नि’ शृंखला के तहत 7,00 किलोमीटर मारक क्षमता वाली ‘अग्नि-1’, 2,000 किलोमीटर रेंज की ‘अग्नि-2’ और 2,500 से 3,500 किलोमीटर तथा ज्यादा रेंज वाली ‘अग्नि 3’ और ‘अग्नि 4’ मिसाइल है। कुछ और प्रयोगों के बाद ‘अग्नि-5’ को सेवा में शामिल कर लिया जाएगा।
अग्नि-5 दुश्मनों के सैटेलाइट नष्ट करने में भी उपयोगी है। इससे पहले इस मिसाइल का दो बार सफल परीक्षण किया जा चुका है। 19 अप्रैल, 2012 को इसका पहला सफल परीक्षण किया गया था। 15 सितंबर, 2013 को दूसरा सफल परीक्षण किया गया। इस बार इसे खास तरह के कनस्तर के सहारे लॉन्च किया गया। सिर्फ प्रधानमंत्री के आदेश के बाद ही इस मिसाइल को छोड़ा जा सकता है।
रक्षा विश्लेषकों ने बताया कि कैनिस्टर की वजह से इस प्रक्षेपास्त्र को सड़क या रेल के जरिये ले जाया जा सकेगा। साथ ही, इससे देश की सामरिक मारक क्षमता को गोपनीयता और लचीलापन भी मिलेगा।