नई दिल्ली : 30 मई और 31 मई को देश के सभी सरकारी बैंकों और कुछ प्राइवेट बैंकों में हड़ताल रहेगी। इसकी वजह से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा सकता है। सभी कर्मचारी सैलरी बढ़ने की मांग को लेकर हड़ताल पर बैठे हैं। माना जा रहा है कि करीब 10 लाख कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल हैं।
हड़ताल से देश की बैंकिंग व्यवस्था पर काफी बुरा असर पड़ने की आशंका है लेकिन इसका सबसे ज्यादा खामियाजा सरकारी बैंकों को उठाना पड़ सकता है। सरकारी क्षेत्र के 17 बैंकों को पिछली तिमाही में 60 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का घाटा हो चुका है। ये बैंक आगे का काम चलाने के लिए सरकार से अतिरिक्त वित्तीय मदद मांग रहे हैं। ऐसे में दो दिनों की हड़ताल से इन पर वित्तीय दबाव और बढ़ सकता है। एनपीए वसूली जैसी गतिविधियों पर भी असर होगा।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई), पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी), बैंक ऑफ बड़ौदा, इलाहाबाद बैंक, यूनियन बैंक, यूको बैंक सहित पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर के सभी बैंकों के अधिकारी-कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे। खबरों के मुताबिक, कुछ एटीएम के सिक्यॉरिटी गार्ड्स भी हड़ताल का हिस्सा होंगे।
इन बैंकों में जिनका अकाउंट है, उनकी सैलरी आने में भी देर हो सकती है। इसके साथ ही एटीएम में पैसा नहीं मिलने के आसार भी हैं। इसके अलावा नेटबैंकिंग, आरटीजीएस, एनईएफटी की सेवाएं नहीं मिलेंगी।
बता दें कि इंडियन बैंक असोसिएशन ने वेतन बढ़तरी की मांग को ठुकरा दिया था। इसके पीछे खराब आर्थिक हालत को बताया गया था। इस वित्त वर्ष सरकारी बैंकों को बैड लोन के चलते भारी नुकसान हुआ है।
वहीं वेतन बढ़ोतरी के समर्थन में यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक्स यूनियन के संयोजक, देविदास तुलजापुरकर ने कहा, ‘एनपीए की वजह से ही बैंकों को इतना घाटा हुआ है। इसके लिए बैंक कर्मचारी जिम्मेदार नहीं हैं। पिछले तीन सालों में बैंक कर्मचारियों ने मुद्रा, जन-धन, नोटबंदी, अटल पेंशन योजना के दौरान काफी काम किया है। इससे वर्कलोड काफी बढ़ा है।