नई दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और स्वतंत्रता सेनानी मदनमोहन मालवीय को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने का ऐलान किया गया है। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान के अनुसार, राष्ट्रपति को पंडित मदन मोहन मालवीय (मरणोपरांत) और अटल बिहारी वाजपेयी को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित कर खुशी हो रही है।
संयोगवश वाजपेयी और मालवीय का जन्म 25 दिसम्बर को हुआ था। मालवीय का जन्म 25 दिसम्बर, 1861 को इलाहाबाद और वाजपेयी का जन्म 1924 को ग्वालियर में हुआ था। सरकार ने उनके जन्मदिवस को ‘सुशासन दिवस’ घोषित किया है।
मालवीय ने दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली थी और वह दक्षिण-पंथी हिन्दू महासभा के पहले नेताओं में से एक थे। स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ के अतिरिक्त वह एक महान शिक्षाविद थे। उन्होंने 1916 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। भारत की आजादी के एक साल पहले उनका निधन हो गया।
वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा ने पहली बार केंद्र में 13 दिन की सरकार बनाई थी। इसके बाद 1998-1999 और 1999-2004 में भी वाजपेयी भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के प्रधानमंत्री रहे। उन्हें यह सम्मान पार्टी से ऊपर उठ कर विभिन्न नेताओं और जनता की मांग को देखते हुए दिया गया है।
वहीँ 90 वर्षीय वाजपेयी ने 1980 में भारतीय जन संघ को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के रूप तब्दील कर दिया था और वह गैर कांग्रेसी पार्टी के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था। वह 1957 से 2009 के बीच 10 बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। वाजपेयी को मोरारजी देसाई सरकार में विदेश मंत्री के रूप में काफी प्रसिद्धि मिली थी, जब उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिन्दी में भाषण दिया था।
इससे पहले प्रधानमंत्री की ओर से दोनों नेताओं के नाम राष्ट्रपति के पास भेजे गए थे। सूत्रों का कहना है कि 26 जनवरी को इनको भारत रत्न दिया जा सकता है। आपको बता दें कि लोकसभा चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना करने वाले मालवीय को भारत रत्न देने का वादा किया था।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न दिए जाने के समर्थन में अब बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीयू नेता नीतीश कुमार भी आ गए हैं। उन्होंने कहा कि वाजपेयी को यूपीए सरकार के दौरान ही भारत रत्न दिया जाना चाहिए था, मैं उन्हें भारत रत्न देने का समर्थन करता हूं।
वाजपेयी के बारे में नीतीश ने कहा कि उनकी एक उदार सोच थी और वह हमेशा विभाजनकारी अजेंडों को दूर रखते हुए अपने गठबंधन सहयोगियों का सम्मान करते थे। वाजपेयी को जन्मदिन की बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि एनडीए शासन के दौरान मैंने उनसे कई बातें सीखीं।