बिहार के गोपालगंज में लोकसभा चुनाव पहले बरामद किए गए 8 हजार 774 सिमकार्ड और नेपाली करेंसी के मामले में सुरक्षा एजेंसियों ने जांच शुरू कर दी है. जानकारी के अनुसार आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) और बिहार एटीएस इस पूरे मामले की जांच कर रही है. पुलिस और जांच एजेंसियों को आशंका है कि भारी मात्रा में इस सिमकार्ड से लोकसभा चुनाव में गड़बड़ी फैलाने की साजिश हो सकती है.
पुलिस की जांच में जो जानकारी मिली उसके मुताबिक दिल्ली से फ्लाइट से गोरखपुर एयरपोर्ट सिमकार्ड लाया गया. उसके बाद नेपाल से पहुंचे पश्चिम बंगाल के मालदा जिला के तीन युवकों ने एयरपोर्ट पर ही सिमकार्ड को रिसीव किया था. नेपाल के काठमांडू से पूरा नेटवर्क ऑपरेट हो रहा था. इसलिए सुरक्षा एजेंसियों को आशंका है कि इसके पीछे दुश्मन देश चीन का भी हाथ हो सकता है.
पुलिस को बांग्लादेशी होने का मिला था इनपुट
गिरफ्तार किए गए तीनों युवकों ने पश्चिम बंगाल के मालदा निवासी होने का दावा किया है. लेकिन, इसकी भी जांच की जा रही है, क्योंकि पुलिस को इनपुट मिला था कि दोनों बांग्लादेशी है. गोपालगंज के एसपी स्वर्ण प्रभात ने कहा कि जांच एजेंसियों द्वारा जिस तरह की मदद मांगी जाएगी, पुलिस उसमें सहयोग करेगी. बता दें कि यूपी-बिहार के बलथरी चेकपोस्ट पर गोपालगंज के कुचायकोट थाने की पुलिस ने 5 अप्रैल को एक कार से 8 हजार 774 सिमकार्ड और 18 हजार नेपाली करेंसी को जब्त किया था. गिरफ्तार युवकों ने पुलिस की पूछताछ में साइबर फ्रॉड में सिमकार्ड का इस्तेमाल होने की बात बताई थी.
नेपाल के काठमांडू से कौन ऑपरेट कर रहा गैंग
पुलिस की जांच में सामने आया कि कुछ सीम कार्ड एक्टिवेट (चालू) है तो कुछ सादा सीम कार्ड है. पुलिस को मिले मोबाइल फोन में लाखों रुपये के ट्रांजेक्शन का खुलासा हुआ है. पुलिस इस गिरोह से जुड़े अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए कार्रवाई करने में जुटी हुई है. हालांकि ये साफ नहीं हो सका है कि कितने लोग जुड़े हैं. अब सवाल है कि इतने सिमकार्ड से लोकसभा चुनाव में गड़बड़ी फैलाने की साजिश कौन रच रहा है. नेपाल के काठमांडू से नेटवर्क कौन ऑपरेट कर रहा है. सुरक्षा एजेंसियां और गोपालगंज पुलिस इन तमाम बिंदुओं पर गहनता से जांच कर रही है.