बिहार का राजनीतिक पारा चढ़ा, नीतीश और मांझी में आमने-सामने की टक्कर

जहाँ एक ओर दिल्ली में विधान सभा चुनाव को लेकर घमासान मचा हुआ है तो वही दूसरी तरफ बिहार का राजनितिक पारा चढ़ता दिखाई दे रहा है, नीतीश कुमार अपना रुख बदलते हुए एक बार‍ फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने को तैयार हैं, तो सीएम जीतनराम मांझी कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं हैं। JDU में टूट के आसार के बीच नीतीश रविवार को सरकार बनाने का दावा पेश करने जा रहे हैं।

दरअसल यह नीतीश कुमार के समर्थन में कुल 130 विधायक हैं। नीतीश को समर्थन दिए जाने वाली चिट्ठी लेकर जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस और सीपीआई के प्रतिनिधि‍ रविवार दोपहर को राज्यपाल से मिलने राजभवन पहुंचे। राज्यपाल के बाहर रहने की वजह से फिलहाल इनकी मुलाकात नहीं हो पाई है। इसके बाद देखना यह है उसके अब राज्यपाल आगे क्या कदम उठाते हैं।

माना जा रहा है कि नरेंद्र सिंह जो मांझी सरकार में मंत्री हैं, वह भी उनके साथ प्रधानमंत्री से मुलाकात कर सकते हैं। जीतन राम मांझी नीति आयोग की बैठक में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली पहुंचे हैं। यहां पत्रकारों से बात करते हुए मांझी ने कहा कि उन्हें पद से हटाने की साजिश की जा रही है। उन्होंने पार्टी अध्यक्ष शरद यादव की बुलाई गई विधायक दल की बैठक को एक बार फिर अवैध बताया।

इसी बीच जब जीतनराम मांझी से रविवार सुबह पत्रकारों ने सवाल पूछा कि क्या मांझी की नाव डूब जाएगी? इसके जवाब में मांझी ने खुद ही सवाल दाग दिया, ‘मांझी की नाव कभी डूबती है क्या?’

हालाँकि आज दिल्ली आये हुए हैं और वे पीएम नरेंद्र मोदी से रविवार शाम 5 बजे मुलाकात करने वाले हैं। मांझी नीति आयोग की बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली आए हुए हैं, जिसमें प्रधानमंत्री मुख्यमंत्रियों के साथ चर्चा करने वाले हैं। मांझी ने PM मोदी से अलग से मुलाकात करने का वक्त मांगा था।

जहां तक नीतीश की बात है, वे शनिवार को ही जेडीयू विधायक दल के नेता चुने जा चुके हैं। अगर आगे सब कुछ ठीक-ठाक रहा, तो उनका फिर से सीएम बनना तय माना जा रहा है।

इस पूरे घटनाक्रम पर समाजवादी पार्टी की भी नजरें टिकी हुई हैं। सपा नेता नरेश अग्रवाल ने जीतनराम मांझी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने रामायण के ‘विभीषण’ की तरह काम किया।

वहीँ जेडीयू के कुछ नेता मांझी के समर्थन में भी खड़े दिखाई दे रहे हैं। मांझी समर्थक मंत्री नरेंद्र सिंह ने कहा है कि अगर सरकार बचाने के लिए जरूरत पड़ी, तो बीजेपी से समर्थन लिया जा सकता है। इस बीच, केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान ने कहा, हम मांझी सरकार को समर्थन देंगे और हम साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं।

गौरतलब है कि जीतनराम मांझी ने शनिवार को राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी से विधानसभा भंग करने की सिफारिश की थी। इसके बाद नीतीश खेमे के 20 मंत्रियों ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद प्रदेश की राजनीति एक नए मोड़ पर खड़ी हो गई।