दिवाली बीतने के साथ ही अब महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर हलचल तेज हो गई है। बीजेपी विधायक दल की बैठक सोमवार को हो सकती है। सीएम और सरकार में बीजेपी के साथी दल पर सस्पेंस अभी भी बरकरार है, पर समझा जा रहा है कि पूरा मामला अब जल्द ही साफ होने जा रहा है। शिवसेना के रुख में भी नरमी देखी जा रही है।
महाराष्ट्र में बीजेपी जल्दी ही अपने मुख्यमंत्री का ऐलान करने वाली है। सूत्रों के मुताबिक, 27 अक्टूबर को मुंबई में बीजेपी के विधायकों की बैठक होने वाली है। माना जा रहा है कि इसी बैठक में महाराष्ट्र के भावी मुख्यमंत्री का चुनाव कर लिया जाएगा। इस बैठक के लिए केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह पर्यवेक्षक के तौर पर जाने वाले हैं। उनके साथ जेपी नड्डा भी मौजूद होंगे। इन लोगों की मौजूदगी में बीजेपी के 123 विधायक अपना नेता चुनेंगे। करीब तीन दिन पहले ही गृहमंत्री ने दिवाली बाद अपने मुंबई जाने की बात साफ तौर पर बताई थी।
इस बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद के लिए नितिन गडकरी समर्थकों द्वारा उनका नाम उछाले जाने पर बीजेपी नेतृत्व ने नाराजगी जताई है हालांकि दिवाली पूजन के दौरान नागपुर में गडकरी और फडणवीस की मुलाकात के बाद गडकरी ने साफ कर दिया कि वह मुख्यमंत्री पद की रेस में नहीं हैं। दरअसल, देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने साथ में दिवाली पूजन कार्यक्रम में शिरकत की थी। जहां पार्टी के नए चुने गए विधायकों ने भी शिरकत की।
भाजपा के साथ सरकार बनाने के मुद्दे पर अनिल देसाई शिवसेना की तरफ से मुख्यं भूमिका में हैं। उन्हों ने कहा, क्योंकि भाजपा 2:1 का फॉर्मूला अपना रही है, इसलिए हमारे 14 विधायक मंत्रिमंडल में शामिल किए जा सकते हैं। हालांकि, उन्हों ने यह भी कहा कि यह सिर्फ संभावित आंकड़ा है। उन्होंरने कहा कि इस बारे में अंतिम फैसला 27 अक्टू बर को उद्धव ठाकरे और अमित शाह की मुलाकात के बाद ही किया जाएगा। मुख्य मंत्री के सवाल पर देसाई ने कहा कि बीजेपी को ज्याकदा सीटें मिली हैं, इसलिए यह फैसला उनका ही होगा। लेकिन बाकी चीजों पर दोनों दलों के बीच बातचीत होगी।
देसाई ने कहा,”महाराष्ट्रद की जनता ने भाजपा और शिवसेना दोनों को अच्छा जनादेश दिया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि वह एक स्थिर सरकार चाहती है। हम लोगों की भावनाओं का ख्यांल करते हुए महाराष्ट्र में निश्चित तौर पर स्थिर सरकार देंगे।
सरकार बनाने की कवायद के बीच यह सवाल भी बड़ा है कि सत्ता में बीजेपी का साथी कौन होगा। मोटे तौर पर देखा जाए, तो बीजेपी की तरफ से भी संकेत आ चुके हैं कि वह सरकार में शिवसेना को ही साथ लेगी। लेकिन शायद समर्थन लेने के लिए भी शर्त रखी जाए। वैसे शिवसेना चाहती है कि सरकार में मंत्रालय का बंटवारा 1995 के फॉर्मूले के तहत हो। लेकिन बीजेपी इस पर राजी होती नहीं दिख रही है।